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    पटना प्रशासन ने शीतलहर से बचाव के लिए जारी की गाइडलाइन, बुजुर्ग-बच्चों और किसानों-पशुपालकों के लिए खास सुझाव

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 10:59 PM (IST)

    पटना प्रशासन ने शीतलहर से बचाव के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश आम नागरिकों, किसानों और पशुपालकों के लिए हैं। इसमें मौसम पूर्वा ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, पटना। ठंड के मौसम में तापमान में अचानक गिरावट और शीत लहर आमजन के स्वास्थ्य, खेती और पशुपालन तीनों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने शीत-घात से बचाव को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो आम नागरिकों के साथ-साथ किसानों और पशुपालकों के लिए भी उपयोगी हैं।

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    प्रशासन ने लोगों से मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखने, आवश्यक तैयारियां पहले से करने और जारी सलाह का सख्ती से पालन करने की अपील की है, ताकि ठंड के दुष्प्रभाव से स्वयं, परिवार, फसल और पशुधन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

    शीत-घात से पहले क्या करें

    मौसम पूर्वानुमान पर नियमित नजर रखें। सर्दियों के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े, भोजन, पानी, ईंधन, बैटरी, टार्च और आवश्यक दवाएं पहले से तैयार रखें। घरों में दरवाजे-खिड़कियां ठीक से बंद रखें, ताकि ठंडी हवा प्रवेश न कर सके। ठंड में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सावधानी बरतें और आवश्यकता होने पर चिकित्सक से परामर्श लें।

    शीत-घात के दौरान क्या करें

    यथासंभव घर के भीतर रहें और अनावश्यक यात्रा से बचें। परतदार, ढीले और गर्म कपड़े पहनें। सिर, गर्दन, हाथ-पैर और कान ढककर रखें। गीले कपड़े तुरंत बदलें। गर्म तरल पदार्थ और पौष्टिक भोजन लें। बुजुर्गों, बच्चों, नवजात शिशुओं और अकेले रहने वाले लोगों का विशेष ध्यान रखें। हीटर का सुरक्षित उपयोग करें और बंद कमरे में कोयला या लकड़ी जलाने से बचें। शीत-घात के लक्षण दिखने पर तुरंत गर्म स्थान पर ले जाएं और चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।

    कृषि संबंधी सावधानियां

    शीत लहर से फसलों को नुकसान की आशंका रहती है। किसान फसलों की सिंचाई, उपयुक्त उर्वरकों का प्रयोग, शीत-घात प्रतिरोधी किस्मों की खेती और खेतों में हवा अवरोधक उपाय अपनाएं। प्लास्टिक शीट, घास-फूस या धुएं का प्रयोग कर फसलों को ठंड से बचाया जा सकता है।

    पशुपालन संबंधी उपाय

    ठंड में पशुओं को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पशु आवास को ढककर रखें, पर्याप्त चारा-पानी दें और दुधारू पशुओं व कुक्कुट को ठंड से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर रखें। सूखा भूसा, कंबल और जलवायु-अनुकूल शेड का उपयोग करें।