CM नीतीश कुमार का दीपावली से पहले गिफ्ट, 3 जिलों के लिए 75 करोड़ रुपए की योजनाओं को मंजूरी
बिहार सरकार ने दरभंगा सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण में सड़क और पुल निर्माण के लिए 75 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि इन योजनाओं से नागरिकों को सुगम यातायात मिलेगा और विकास को गति मिलेगी। मुख्य योजनाओं में सड़कों का चौड़ीकरण मजबूतीकरण और पुलों का निर्माण शामिल है जिससे लोगों का जीवन सुगम होगा।

राज्य ब्यूरो, पटना। दरभंगा, सीतामढ़ी तथा पूर्वी चंपारण की तीन सड़क व पुल निर्माण योजनाओं को सोमवार को स्वीकृति दी गयी। इसकी लागत 75 करोड़ रुपए है। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने इस आशय की जानकारी दी।
माननीय पथ निर्माण मंत्री ने कहा कि इन योजनाओं का उद्देश्य इन जिलों के नागरिकों को सुगम और सुरक्षित सड़क संपर्कता उपलब्ध कराना है, ताकि बड़ी आबादी को बेहतर यातायात सुविधा, तेज विकास और सुविधाजनक जीवन का अनुभव हो सके।
इन योजनाओं में सड़कों के चौड़ीकरण, मजबूतीकरण तथा उच्चस्तरीय पुल से जुड़ने वाले पहुंच पथ का निर्माण शामिल है।
जिन इन योजनाओं को स्वीकृति दी गई है उनमें पूर्वी चंपारण जिले में सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज, मोतिहारी से फायरिंग रेंज के पीछे होते हुए धनौती नदी के लेफ्ट बैंक पर मजुराहा तक उच्चस्तरीय आरसीसी पुल के पहुंच पथ का निर्माण होगा। इसकी अनुमानित लागत 29.77 करोड़ रुपए है।
दरभंगा जिले में शिवधारा से हरपुर चौक तक कुल 4.40 किमी सड़क के चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण का काम 19.27 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। वहीं, सीतामढ़ी जिले में सिसौला-बसंतपट्टी मार्ग, जिसकी कुल लंबाई 7.44 किमी है, के चौड़ीकरण और मजबूतीकरण के लिए 27.04 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है।
पशु विज्ञान विश्वविद्यालय प्रांगण की चहारदीवारी कराएं ऊंची, सोलर प्लेट लगाएं : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के प्रांगण से पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के 839 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना का परिसर बाहरी लोगों से पूरी तरह सुरक्षित रहे, इसके लिए चारो ओर से परिसर की चहारदीवारी की ऊंचाई को और अधिक बढ़ाएं।
नवनिर्मित भवनों पर पर्याप्त संख्या में सोलर प्लेट भी अधिष्ठापित कराएं ताकि प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित हो सके। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना का परिसर हरा-भरा दिखे, इसके लिए अधिक से अधिक पौधरोपण कराने के निर्देश दिए।
कार्यक्रम में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के 143 करोड़ रुपये की लागत से कुल 13 भवनों, 116 करोड़ रुपये की लागत से कुल 27 योजनाओं से संबंधित राज्य एवं जिलास्तरीय संसाधन व प्रशिक्षण केंद्र के साथ पशु चिकित्सालयों को समर्पित किया। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री द्वय सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी एवं भवन निर्माण मंत्री जयंत राज उपस्थित थे।
उद्घाटन कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री ने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर में अवस्थित संजय गांधी डेयरी प्रौद्योगिकी संस्थान के नवनिर्मित भवन का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने सात करोड़ रुपये की लागत से पूर्णिया में कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केंद्र एवं दुग्ध उत्पाद निर्माण संयंत्र का विस्तारीकरण, गयाजी में प्रशिक्षण केंद्र के साथ ही एक करोड़ रुपये की लागत से किशनगंज, बांका एवं पूर्णिया जिले में पंचायत एवं प्रखंड स्तरीय पांच मत्स्य बाजार सहित कुल 282 करोड़ रुपये की लागतवाली अन्य विकास योजनाओं का उद्घाटन किया।
इसके अतिरिक्त 279 करोड़ 14 लाख रुपये की लागत से कांफेड अंतर्गत डेयरी, दुग्ध चूर्ण, दही संयंत्रों एवं पटना के कांफेड मुख्यालय में केंद्रीकृत इंटीग्रेटेड कंट्रोल एवं कमांड सेंटर, 246 करोड़ रुपये की लागत से पशु चिकित्सालयों, जिलास्तरीय संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्रों, गोट सीमेन स्टेशन, टेकुना, गयाजी एवं बिहार पशु चिकित्सा परिषद् के प्रशासनिक भवन सहित कुल 25 योजनाओं, 44 करोड़ 46 लाख रुपये की लागत से 11 जिलों में पंचायत एवं प्रखंड स्तरीय मत्स्य बाजार एवं अन्य मात्स्यिकी आधारभूत संरचनाओं का शिलान्यास सम्मिलित है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के विभिन्न आधारभूत संरचनाओं से संबंधित योजनाओं पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव एन विजयालक्ष्मी ने मुख्यमंत्री को पौधा भेंटकर उनका स्वागत किया। इन योजनाओं से राज्य में किसानों, पशुपालकों और मछुआरों को सीधे लाभ प्राप्त होगा तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। राज्य सरकार की प्राथमिकता किसानों एवं पशुपालकों की आय दोगुनी करना, गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराना एवं बिहार को पशु एवं मत्स्य संसाधन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
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