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    Bihar Voter List: बिहार में नई वोटर लिस्ट आने के बाद अब क्या करेंगे राजद-कांग्रेस? खुद बताई रणनीति

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 10:26 PM (IST)

    राजद ने मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन पर कहा कि वे बूथ और पंचायत स्तर पर सूची की जांच करेंगे और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कांग्रेस ने एसआईआर को छलावा बताते हुए कहा कि इसके जरिए कई नाम हटाए गए जबकि नए नाम कम जोड़े गए जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठता है।

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    वोटर लिस्ट आने के बाद अब क्या करेंगे राजद-कांग्रेस?

    राज्य ब्यूरो, पटना। एसआइआर के बाद मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन पर भी राजद ने अपना पक्ष रखा है। मंगलवार को पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची की पड़ताल राजद के बीएलए के साथ बूथ तथा पंचायत इकाइयां करेंगी।

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    यदि कोई भी नाम छूट गया होगा, तो चुनाव आयोग द्वारा नाम जोड़वाने और त्रुटि सुधार का विकल्प दिया गया है। इसके बावजूद भी आवश्यकता प्रतीत होने पर सुप्रीम कोर्ट से शिकायत की जाएगी।

    राजद सुप्रीम कोर्ट का आभारी है, जिसके हस्तक्षेप और पहल के कारण बड़ी संख्या में नाम काटने और फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने में विफल हो गया।

    उन्होंने बताया कि एक अगस्त को प्रकाशित प्रारुप में 21.53 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं और 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। प्रारूप में कुल 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम सम्मिलित थे, जो अंतिम सूची में बढ़कर 7.42 करोड़ हो गए हैं।

    बिहार में स्पेशल SIR पर गंभीर सवाल : राजेश

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने एसआइआर को लेकर कहा है कि यह कवायद शुरू से छलावा रही है। यह वह प्रक्रिया थी, जिसकी मांग न तो जनता ने की थी न ही राजनीतिक दलों ने।

    इसके बावजूद लापरवाही और अपारदर्शिता के साथ किया गया, जिसकी वजह से बार-बार भारत के सर्वोच्च न्यायालय को दखल देना पड़ा, ताकि कम-से-कम प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का पालन तो हो सके।

    उन्होंने कहा कि अब चुनाव आयोग के ज्ञानेश गुप्ता इसे सफल बता रहे हैं, जबकि वास्तव में इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता सवालों के घेरे में है। हमारे कार्यकर्ता पूरे राज्य में इस बात का गहन मूल्यांकन करेंगे कि एसआइआर के जरिए कितने नाम सूची से हटाए गए और कितने नाम जोड़े गए।

    यह मुद्दा यहीं समाप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लगभग 65 लाख नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए गए थे , जबकि केवल करीब 21.53 लाख नए नाम जुड़े। यानी हटाए गए नामों की संख्या बहुत अधिक है और यह गंभीर चिंतन का विषय है।

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