Bihar Assembly Election 2025: संविधान और एसआईआर बने महागठबंधन के हथियार, निशाने पर एनडीए
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एनडीए पर हमलावर हैं। वे संविधान और मतदाता पुनरीक्षण को राजनीतिक हथियार बना रहे हैं। राहुल गांधी महागठबंधन के साथ वोटर अधिकार यात्रा कर रहे हैं और एनडीए पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगा रहे हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग बिहार से जनतंत्र को खत्म करना चाहते हैं।

सुनील राज, पटना। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बिहार की राजनीति में वैचारिक टकराव चरम पर है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार एनडीए और केंद्र सरकार के साथ चुनाव आयोग के खिलाफ हमलावर तेवर अपनाए हुए हैं।
खास बात यह है कि इस बार दोनों नेता केवल भाषणों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि संविधान और विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि राहुल गांधी के आरोपों की चुनाव आयोग समय-समय पर हवा निकाल रहा है। एनडीए भी इन नेताओं के आरोपों का जवाब देने में चूक नहीं रहा।
राहुल गांधी इन दिनों बिहार में हैं। वे तेजस्वी, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी के साथ महागठबंधन के नेताओं को एकजुट कर यहां वोटर अधिकार यात्रा कर रहे हैं। राहुल-तेजस्वी के साथ महागठबंधन के दूसरे नेता यात्रा के मंचों से यह संदेश दे रहे हैं कि एनडीए सत्ता में रहकर संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने संविधान की किताब हाथ में लेकर लोगों को आश्वस्त किया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल कभी भी इसे बदलने नहीं देंगे। राहुल गांधी का यह सीधा निशाना भाजपा पर है, क्योंकि विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि भाजपा आरक्षण व्यवस्था और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करना चाहती है।
दूसरी ओर, तेजस्वी यादव अपने भाषणों में स्पष्ट हैं कि लोकतंत्र में मतदाता सरकार चुनता है, सरकार मतदाता नहीं, परंतु भाजपा और चुनाव आयोग साजिश के तहत जनतंत्र की जननी बिहार से ही ये जनतंत्र को खत्म करना चाहते है।
तेजस्वी भी इस बात पर जोर देते हैं कि बाबा साहब के संविधान को समाप्त करने की कोशिशें हो रही हैं। दोनों नेता कमोबेश एक ही बात कह रहे हैं। यहीं नहीं दोनों बिहार में विधि-व्यवस्था की स्थिति, शिक्षा के स्तर के अलावा पढ़ाई, कमाई, दवाई, रोजगार को भी अपना मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं रहने दे रही है।
दोनों नेता नेताओं की यह जोड़ी एनडीए के खिलाफ साझा राजनीतिक नैरेटिव गढ़ रही है। वे संविधान को बचाने की अपील, वोट चोरी रोकने की अपील, सामाजिक-आर्थिक जनगणना की मांग और जनहित से जुड़े मुद्दे सामने ला रहे हैं। राजनीतिक के जानने-समझने वाले भी मान रहे हैं कि दोनों नेताओं का यह संयोजन विरोधियों के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है, क्योंकि यह मुद्दे सीधे आम जनता की भावनाओं और अधिकारों से जुड़े है।
राहुल-तेजस्वी की यह रणनीति युवाओं, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बीच असर डाल सकती है। एनडीए जहां विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा का एजेंडा लेकर चल रही है तो वहीं उसके विरोधी सामाजिक न्याय व अधिकारों को राजनीति के केंद्र में ला रहे हैं।
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