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    Bihar News: आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों के लिए खुशखबरी, पोशाक राशि समेत कई सुविधाएं बढ़ीं

    By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Wed, 02 Jul 2025 09:06 AM (IST)

    पटना में आंगनबाड़ी केंद्रों के 52 लाख बच्चों को अब हर साल दो सेट पोशाक जीविका दीदियों द्वारा मिलेगी। जीविका और आईसीडीएस के बीच एमओयू हुआ। ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि 534 प्रखंडों में केंद्र खुलेंगे। समाज कल्याण मंत्री ने जीविका दीदियों को रोजगार देने की बात कही। सचिव ने बताया कि पोशाक के लिए राशि बढ़ाकर 400 रुपये की गई है।

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    52 लाख बच्चों को अब हर साल दो सेट पोशाक जीविका दीदियों द्वारा मिलेगी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित तीन से छह वर्ष की आयु के 52 लाख बच्चों को अब हर साल दो सेट पोशाक मिलेगी। पोशाक जीविका दीदियों के स्तर पर तैयार की जाएगी। इसे लेकर मंगलवार को बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) और समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुआ।

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    जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा और समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशक अमित कुमार पांडेय ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य के सभी 534 प्रखंडों के पुराने भवनों में 100 मशीनों वाला केंद्र खोला जाएगा।

    उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से अब तक राज्य में 20 लाख जीविका दीदियां लखपति दीदी बन चुकी हैं। उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। अभी राज्य में 48 हजार 232 महिलाओं के पास अपनी सिलाई मशीन है, जबकि 92 हजार 608 सिलाई मशीनों पर महिलाएं काम कर रही हैं।

    समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब जीविका दीदियां एक लाख मीटर से अधिक कपड़ा का इस्तेमाल कर बच्चों के लिए पोशाक बनाएंगी। उन्होंने कहा कि हम एक लाख से अधिक सेविका और सहायिकाओं की साड़ियों के लिए जीविका दीदियों को रोजगार देंगे।

    वहीं, समाज कल्याण विभाग की सचिव बंदना प्रेयसी ने कहा कि पहले विभाग बच्चों को पोशाक के लिए 250 रुपये देता था, इसे बढ़ाकर 400 रुपये कर दिया गया। इसके बावजूद बच्चों को लाभ नहीं मिल पा रहा था, इसलिए निर्णय लिया गया कि अब जीविका दीदियां उनके लिए पोशाक सिलेंगी। सरकार के इस फैसले से आंगनबाड़ी केंद्रों की तस्वीर बदलेगी। अब बच्चों को गर्मी और सर्दी के कपड़े मिलेंगे।

    उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि अगर जीविका दीदियां बच्चों के लिए पोशाक सिलाई का काम करेंगी, तो वे आर्थिक रूप से सशक्त होंगी। दो सौ करोड़ से अधिक का कारोबार होगा।

    इतना ही नहीं, अगर किसी राशि की कमी हो तो जीविका दीदियां बैंक से लोन भी ले सकती हैं। इससे उन्हें घर-घर रोजगार पाने में मदद मिलेगी।