Bihar News: पटना में कचरे से बनेगी 15 मेगावाट बिजली, सरकार खर्च करेगी 513 करोड़ रुपये
पटना समेत बिहार के 11 नगर निकायों के कचरे से अब 15 मेगावाट बिजली बनेगी। इस परियोजना पर 513 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें केंद्र सरकार 33 फीसदी राशि देगी। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कार्यक्रम में नगर विकास मंत्री ने यह घोषणा की। प्लांट में बिजली के साथ इथेनॉल और खाद भी बनेगी। मंत्री ने पीएम सूर्य घर योजना में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी पर जोर दिया।

जागरण संवाददाता, पटना। पटना में नगर निगम समेत राज्य के 11 नगर निकायों के कचरे से 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। यह परियोजना पीपीपी मोड पर पूरी होगी।
बिहार के नगर विकास एवं आवास मंत्री जिबेश कुमार मिश्रा ने रविवार को पटना के तारामंडल सभागार में यह घोषणा की। वे बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार सह प्रदर्शनी 'बिहार रिन्यूएबल एनर्जी एक्सपो 2025' के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर 513 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने 33 फीसदी राशि जारी कर दी है। शेष राशि पीपीपी मोड पर निजी भागीदारी से वहन की जाएगी। इस प्लांट में बिजली के साथ इथेनॉल और कंपोजिट खाद का भी उत्पादन होगा। बची हुई सामग्री का उपयोग लैंड फिलिंग मैटेरियल के रूप में किया जाएगा।
एक्सपो के समापन सत्र को संबोधित करते हुए नगर विकास एवं आवास मंत्री ने पीएम सूर्य घर योजना की सफलता के लिए जनप्रतिनिधियों की सहभागिता और सहभागिता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं को सफल बनाने के लिए विभिन्न विभागों के वरीय पदाधिकारियों के बीच समन्वय जरूरी है।
बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि आयोग विनियम बनाते समय बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सुझावों को ध्यान में रखेगा। अब तक आयोग द्वारा काफी विनियम बनाये जा चुके हैं। अगर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन या अन्य संगठनों या उपभोक्ता समूह की ओर से राज्य में सौर ऊर्जा या किसी अन्य ऊर्जा से संबंधित विनियम बनाने का सुझाव आता है तो आयोग उस पर अवश्य विचार करेगा।
वर्ष 2035 तक 18 हजार मेगावाट बिजली की होगी मांग
नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक सह ब्रेडा के निदेशक राहुल कुमार ने कहा कि वर्ष 2034-35 में राज्य में 18 हजार मेगावाट बिजली की मांग होगी। इसे पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा आधारित ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना होगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 11 हजार मेगावाट का बिजली खरीद समझौता है, जिसमें 65 प्रतिशत थर्मल पावर है। शेष बिजली अक्षय ऊर्जा है।
राहुल कुमार ने बताया कि राज्य में 11,700 सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा लगायी गयी है। संयोजक सुबोध कुमार ने बताया कि एक्सपो में विभिन्न सोलर कंपनियों के 40 स्टॉल लगाए गए हैं।
अध्यक्ष केपीएस केशरी ने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन के बाद ग्रिड में बिजली भेजने पर कोई बिलिंग चार्ज नहीं लिया जाना चाहिए। समापन समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन महासचिव अमरनाथ जायसवाल ने किया।
मौके पर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सीए आशीष रोहतगी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष अरुण अग्रवाल, राम लाल खेतान, पूर्व उपाध्यक्ष संजय गोयनका, अरविंद कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
बाजार समिति में कोल्ड स्टोरेज को बढ़ावा
तकनीकी सत्र में कृषि विभाग के वानिकी निदेशक अविषेक कुमार, बीएसपीजीसीएल के कार्यपालक विद्युत अभियंता राकेश कुमार, बिहार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के परियोजना निदेशक डॉ. अनंत कुमार, बिहार कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक चौरसिया ने अतिथि वक्ता के रूप में अपने विचार रखे।
वानिकी निदेशक अविषेक कुमार ने कहा कि सरकार कोल्ड स्टोरेज की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए अलग से कोल्ड स्टोरेज नीति ला रही है, यह कैबिनेट की मंजूरी के लिए गई है। नीति में यह प्रावधान किया जा रहा है कि हर प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज की स्थापना की जाए।
राज्य की बाजार समितियों को पुनः स्थापित करते हुए हर बाजार समिति में कोल्ड स्टोरेज की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा। नई नीति में पारंपरिक कोल्ड स्टोरेज के साथ-साथ "कम लागत-कम क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज" की स्थापना पर विशेष ध्यान दिया गया है।
उन्होंने कोल्ड स्टोरेज उद्यमियों को राज्य में बहु-उत्पाद भंडारण वाले कोल्ड स्टोरेज की स्थापना करने का सुझाव दिया। बिहार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (तारामंडल) के परियोजना निदेशक डॉ. अनंत कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सोलर पंप योजना एक अच्छी योजना है, लेकिन आम लोगों में सरकार की नीतियों और योजनाओं की जानकारी के अभाव के कारण राज्य में सौर ऊर्जा की क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य के सभी जिलों में सरकारी इंजीनियरिंग स्कूल हैं, जहां जनप्रतिनिधियों के सहयोग से कैंप लगाकर सोलर पंप और प्रधानमंत्री सूर्य घर जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का प्रचार-प्रसार क्षेत्र के लोगों के बीच किया जाना चाहिए।
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