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    बिहार में भिक्षावृति के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन, 20 बच्चों को मिला नया जीवन

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 10:22 AM (IST)

    पटना में बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ जिलाधिकारी के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई हुई। जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन और मानव व्यापार निषेध इकाई की स ...और पढ़ें

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    भीख मांगते बच्चों की फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। बिहार की राजधानी पटना की सड़कों को बाल भिक्षावृत्ति के अभिशाप से मुक्त कराने के लिए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम के सख्त निर्देश का असर शुक्रवार को दिखा। जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन व मानव व्यापार निषेध इकाई की संयुक्त टीम ने सात से अधिक जगहों पर भीख मांग रहे बच्चों को सुरक्षित करने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी की।

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    कोतवाली थाना क्षेत्र के डाक बंगला चौराहा, एग्जीबिशन रोड चौराहा, बुद्ध स्मृति पार्क, इस्कान मंदिर के आसपास और शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में संजय गांधी जैविक उद्यान, राजवंशी नगर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास भीख मांगते 20 बच्चों को सुरक्षित आश्रय स्थलों में पहुंचाया गया। इस क्रम में चार महिलाओं को भी आश्रय गृहों में भेजा गया। चारो महिलाएं ममता की आड़ में सात मासूम बच्चों को लेकर भीख मांग रही थीं।

    जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार चौधरी के नेतृत्व में विशेष किशोर पुलिस इकाई के नोडल पदाधिकारी डीएसपी रहमत अली, मानव व्यापार निषेध इकाई की इंद्रा कुमारी, बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रभाकर रंजन, चाइल्ड हेल्पलाइन की समन्वयक नेहा सिंह समेत अन्य लोगों ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।

    यूपी के सोनभद्र जिले व नालंदा तक के बच्चे

    भिक्षावृत्ति से जिन 20 बच्चों को विमुक्त कराया गया, टीम ने बाल कल्याण समिति के समक्ष उन्हें प्रस्तुत किया। समिति के निर्देश पर सात बालिकाओं को बिहटा स्थित वृहद बालिका आश्रय गृह-एक व छह बालकों को बिहटा में ही वृहद आश्रय गृह बालक इकाई-1 में रखा गया है। यहां इनके रहने, खाने, कपड़े, दवा-उपचार के साथ अधिक उम्र के बच्चों को कौशल प्रशिक्षण तक की व्यवस्था है।

    वहीं, चारों महिलाओं एवं उनके साथ जिन सात बच्चों को संरक्षित किया गया है, उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री भिक्षा निवारण योजना के तहत चल रहे पटना के शांति कुटीर में रखा गया है।

    जिन 20 बच्चों को विमुक्त कराया गया है, सभी 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। इनसे भीख मंगवा कर उनके शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास को अवरुद्ध किया जा रहा था।

    जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि जिन 20 बच्चों को विमुक्त कराया गया है, उनमें से कई उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के हैं तो एक नालंदा जिले का है।

    लगातार जारी रहेगा पुनर्वास का अभियान

    डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि चौक-चौराहों पर बच्चों से भीख मंगवाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए यह अभियान अब हर 15 दिन पर चलाया जाएगा। जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन एवं मानव व्यापार निषेध इकाई इसे संचालित करेगी। इससे न केवल बाल भिक्षावृत्ति बल्कि बाल तस्करी पर प्रभावी अंकुश लगेगा।

    बाल संरक्षण की जिले में बेहतर व्यवस्था

    जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि समाज कल्याण विभाग विभिन्न आयु वर्ग के बालक व बालिका गृह संचालित कर रहा है। यहां 18 वर्ष तक के भूले-भटके, लावारिस या असहाय बच्चों के निशुल्क आवासन, भोजन, शिक्षा एवं प्रशिक्षण की सुविधा दी जाती है।

    18 वर्ष की आयु होने तक या उनके परिवार से मिलाने तक बच्चे को यहां सुरक्षित वातावरण में रखा जाता है। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता सामने नहीं आई है।