Bihar News: 'खून' से रंगे हाथ खिला रहे गेंदा-गुलाब, बदली सोच तो बंदी करने लगे बागवानी
बेउर आदर्श केंद्रीय कारा प्रशासन द्वारा हत्या जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे कैदियों को बागवानी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वो सुबह से शाम तक बागवानी के काम में जुटे हैं। इस दौरान कैदियों को मिट्टी और फूलों की खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां भी दी जा रही हैं। कारा प्रशासन जल्द ही इन फूलों को बाजार में लाने की भी तैयारी कर रहा है।

जागरण संवाददाता, पटना। जिनके हाथ खून से रंगे थे, वे अब खुरपी लेकर बागवानी कर रहे हैं। संगीन अपराधों में जेल में बंद ये कैदी आज वहां की बगिया में गेंदा, गुलाब खिला खुशबू बिखेर रहे हैं। उनकी सोच में यह बदलाव बेउर आदर्श केंद्रीय कारा प्रशासन के सार्थक प्रयास से संभव हो सका है।
संगीन मामलों में कैद बंदियों से फूलों की खेती करवाई जा रही है। सुबह से शाम तक बंदी बागवानी में लगे रहते हैं। वहीं जेल प्रशासन द्वारा उन्हें इसका विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
फूलों के बारे में कैदियों को दिया जा रहा विशेष प्रशिक्षण और ये जानकारियां
- किस मौसम में कौन सा फूल खिलेगा।
- मिट्टी की गुणवत्ता कैसी होनी चाहिए।
- सिंचाई के लिए कितना पानी लगेगा।
जेल अधीक्षक डॉ. विधु कुमार ने बताया कि बागवानी में बड़ी संख्या में कैदियों ने रूचि दिखाई है। सुधार कार्यक्रम के तहत फूलों की खेती कराई जा रही है। भविष्य में इसे बड़े स्तर पर करने की योजना है।
कारा प्रशासन के मुताबिक, कैदियों की प्रतिभा से आमजन को भी रूबरू कराने की लगातार कवायद की जा रही है।
इससे बंदियों को सराहना मिलेगी तो वे सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित होंगे। अभी मुक्ति बाजार में जूट, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, मसाले आदि बिक रहे हैं।
फूलों को बाजार में लाने की तैयारी
बेउर आदर्श केंद्रीय कारा प्रशासन जल्द ही कैदियों द्वारा लगाए गए फूलों की माला को बाजार में लाने की तैयारी है।
करीब डेढ़ महीने में इस योजना को मूर्तरूप देने पर काम किया जा रहा है। इसके लिए गेंदा के फूलों की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बताया जाता है कि दो प्रकार के गेंदा फूल लगाए जा रहे हैं। इनकी खेती के लिए उन स्थानों को साफ कराया गया है, जहां कभी कचरे का अंबार लगा रहता था। गेंदा का एक प्रकार साल भर खिलता है, जबकि दूसरा मौसमी है।
विशेषज्ञ देंगे औषधीय पौधों की जानकारी
जेल की बागवानी में औषधीय पौधों को भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों से विमर्श जारी है। किस तरह के औषधीय पौधे लगाए जा सकते हैं। मिट्टी और वातावरण कैसे हो आदि लाभप्रद जानकारियां हासिल की जा रही हैं।
पहले जेल कर्मियों को इस बारे में बताया जाएगा, फिर बंदियों को प्रशिक्षण मिलेगा। दूसरी ओर, ठंड आते ही बुजुर्ग और बीमार बंदियों का प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है।
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