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    Bhagalpur News: बिहार के छात्रों की कोशिश से बदलेगी किसानों की किस्मत, अब फफूंद लगे मक्के के भी मिलेंगे दाम

    Updated: Fri, 06 Dec 2024 11:33 AM (IST)

    फफूंद लगे मक्का से टीएमबीयू के छात्र एमाइलेज एंजाइम निकालेंगे। इससे अलग-अलग सेक्टर में छात्र-छात्राओं को रोजगार के अवसर भी मिल सकेंगे। वहीं दूसरी ओर इससे किसानों को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है। अब तक किसानों को फफूंद लगे मक्के को या तो फेंकना पड़ता था या फिर जानवरों को खिलाना पड़ता था। अब किसानों को इसका उचित दाम मिल सकेगा।

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    मक्के की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) के बायोटेक्नोलॉजी के छात्र अब फफूंद लगे मक्के से एमाइलेज एंजाइम निकालने की तकनीक सीख रहे हैं। इसके बाद छात्र खुद का उद्यम लगाकर, फफूंद लगे मक्के से लाखों रुपये कमाएंगे।

    वहीं, टेक्सटाइल, लेदर, डिटरजेंट, ड्रग आदि सेक्टर में भी उनके लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यही नहीं मक्का उत्पादक किसानों को भी इसका काफी फायदा मिलेगा।

    TMBU के छात्र सीख रहे तकनीक

    फफूंद लगे मक्के से एमाइलेज एंजाइम निकालने की तकनीकी सीखने के बाद छात्र किसानों से फफूंद लगा मक्का भी खरीदेंगे, जिससे किसानों को फायदा होगा और उन्हें खराब मक्का फेंकना नहीं पड़ेगा। अभी किसानों को फफूंदी लगने के बाद मक्का फेंकना या जानवरों को चारे के रूप में खिलाना पड़ाता है।

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    प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य

    बिहार देश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है। राज्य में कई मक्का उत्पादन वाले क्षेत्र बाढ़ प्रभावित भी हैं। बाढ़-बरसात के दिनों में मक्के की फसल डूब जाती है। अगर सड़क या छत पर मक्के को सूखाते हैं, तो इस दौरान भी नमी के कारण मक्का में फफूंदी लग जाती है। फफूंदी लगे मक्के को किसान या तो सड़क किनारे फेंक देते हैं या फिर मवेशी के आगे चारा के रूप में डाल देते हैं।

    टीएमबीयू के बायोटेक्नोलाजी विभाग के वरीय वैज्ञानिक सह प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार चौधरी, शिक्षक डॉ. रोहित कुमार वर्मा, डॉ. ऋचा राय ने बताया कि शैक्षणिक सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि फफूंदी लगे मक्का में एसपरजीलियस नाइजर बड़ी मात्रा में पाया जाता है।

    • डॉ. एके चौधरी ने कहा कि बायोटेक में हम कचरे से भी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
    • फफूंदी को प्रयोगशाला में अनुकूल वातावरण में कल्चर किया गया।
    • उस फफूंदी से एमाइलेज एंजाइम निकाला गया।
    • एमाइलेज एंजाइम की आद्यौगिक क्षेत्र में काफी मांग है।
    • फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, दवा उद्योग, चर्म उद्योग, डिटर्जेंट उद्योग, बेकिंग उद्योग, ब्रेविंग उद्योग, पेपर उद्योग, फार्मास्यूटिकल कंपनी में एमाइलेज एंजाइम की काफी डिमांड है।
    • इन सभी उद्योगों में एमाइलेज एंजाइम की काफी खपत होती है।
    • ऐसे उद्योगों में इस्तेमाल के लिए एमाइलेज बनाने वाली कंपनी से एमाइलेज खरीदा जाता है या फिर इसे प्रद्यौगिक जानकारों या बायोटेक्नोलॉजिस्ट को नियुक्त कर उत्पादन किया जाता है।

    डॉ. एके चौधरी ने कहा कि 2022 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में एमाइलेज का आकार 1.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो आगामी वर्षों में 5.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में रोजगार व उद्यमिता की अपार संभावनाएं है।

    राज्यपाल और कुलपति ने छात्रों को उद्यमिता की ओर प्रेरित करने को कहा है। इसी कारण यहां के छात्रों को एमाइजेज एंजाइम निकालने की तकनीक सिखाई गई। इससे वे जहां खुद का उद्यम शुरू कर सकते हैं। वहीं, उनके लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

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