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    बिहार की वो हॉट सीट जहां ओवैसी की पार्टी ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन, क्या राहुल की रैली दिखा पाएगी कोई करिश्मा?

    Updated: Wed, 17 Apr 2024 04:15 PM (IST)

    पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में एकमात्र किशनगंज ने ही महागठबंधन की लाज रखी थी। यही कारण है कि लालू यादव ने बिना हीला-हुज्जत के ये सीट कांग्रेस के हवाले कर दी। हालांकि इस बार किशनगंज में कांग्रेस की राह आसान नहीं रहने वाली है। किशनगंज में एआइएमआइएम की उपस्थिति ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है। एआइएमआइएम कांग्रेस के वोटबैंक में बड़ी सेंध लगा सकती है।

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    मतदाताओं की एकजुटता के ऐन वक्त होगी राहुल की जनसभा। (फाइल फोटो)

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। किशनगंज में कांग्रेस के मार्ग में एकमात्र अवरोध वोटों का भटकाव-बहकाव है। एआइएमआइएम की उपस्थिति से इसकी आशंका बढ़ गई है। राहुल गांधी का प्रयास इन आशंकाओं को निर्मूल करते हुए वहां कांग्रेस को लगातार चौथी जीत दिलाने का होगा।

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    यही कारण है कि उनकी जनसभा मतदान के कुछ ही दिन पहले होगी, ताकि मतदाताओं के कानों में उनका संवाद आखिरी क्षण तक गूंजता रहे।

    अगर किशनगंज का दायित्व पूर्णतया राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंप राहुल भागलपुर का रुख करते हैं, तो भी जनसभा के लिए मतदान के निकट की तिथि ही प्राथमिकता में होगी।

    किशनगंज ने ही रखी थी महागठबंधन की लाज

    पिछली बार बिहार में एकमात्र किशनगंज ने ही महागठबंधन की लाज रखी थी। यही कारण है कि लालू प्रसाद ने बिना हीला-हुज्जत के यह सीट कांग्रेस के हवाले कर दी, अन्यथा उसकी परंपरागत दूसरी सीटों पर राजद ने अपनी दबंगई खूब दिखाई।

    औरंगाबाद में निखिल कुमार तो मन मसोस कर रह गए, लेकिन पूर्णिया में पप्पू यादव नहीं माने। ऐसे में पूर्णिया में राहुल की जनसभा सहज नहीं होती। वहां जदयू छोड़ राजद में आई बीमा भारती त्रिकोणीय संघर्ष में बुरी तरह फंसी हैं।

    अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल पूर्णिया में जनसभा कर भी चुके हैं, जिसमें महागठबंधन के दूसरे नेता भी मंचस्थ थे। पिछली बार बिहार में राहुल की चुनावी जनसभाओं की शुरुआत पूर्णिया से ही हुई थी।

    रंगभूमि मैदान में 23 मार्च, 2019 को उन्होंने चुनावी सभा की थी। तब उदय सिंह वहां कांग्रेस के प्रत्याशी थे, जिन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।

    कुछ वैसी ही जुटान न्याय यात्रा के क्रम में 30 जनवरी 2024 की जनसभा में भी हुई थी। ईडी के बुलावे के कारण लालू-तेजस्वी मंच पर नहीं आ सके, लिहाजा राजद के प्रतिनिधि के तौर पर अशफाक करीम पहुंचे थे।

    इस बार कटिहार में लालू उन्हें निर्दलीय मैदान में उतरने के लिए उकसा रहे थे, जैसा कि अशफाक सार्वजनिक रूप से बता चुके हैं। कटिहार में कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर प्रत्याशी हैं।

    अनुसूचित जाति से आने वाले खरगे बिरादरी विशेष के वोटों को बांधने का प्रयास करेंगे। परंपरागत रूप से सवर्णों के साथ अनुसूचित जाति व मुस्लिम वर्ग में कांग्रेस का जनाधार रहा है। इस बार उसे ही साधने का जतन है। इसी लिहाज से भागलपुर के मैदान में अजीत शर्मा को उतारा गया है।

    किशनगंज के साथ कटिहार और भागलपुर में भी दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को मतदान होना है। कांग्रेस को मिली नौ में से तीन सीटों पर इसी चरण में निर्णय हो जाएगा।

    शेष छह सीटों के अभी प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं। इन प्रत्याशियों के बारे में अंतिम निर्णय हो जाने के बाद किशनगंज में राहुल की जनसभा की तिथि घोषित होगी। वह तिथि 22 अप्रैल के निकट हो सकती है।

    यह भी संभव है कि किशनगंज के साथ राहुल अपनी दूसरी जनसभा भागलपुर में करें। मंच साझा करने के लिए तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के दूसरे नेता आमंत्रित किए जा सकते हैं।

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