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Bihar Politics: ...तो क्या I.N.D.I.A में पड़ गई है फूट? इस दिग्गज नेता ने बताया- क्यों नहीं हुई सीट शेयरिंग?

इंडी गठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। जदयू का कहना है कि विपक्षी हठबंधन में सुर-ताल मेल नहीं खा रहे हैं। बिहार में विपक्षी गठबंधन में हर पार्टी एक दूसरे के पीठ में छूरा घोंपने में लगे हैं। जदयू ने कहा कि विपक्ष की स्थिति यह है कि उन्हें एनडीए को ढंग से चुनौती देने वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Rajat Mourya Published: Tue, 19 Mar 2024 07:04 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2024 07:04 PM (IST)
...तो क्या I.N.D.I.A में पड़ गई है फूट? इस दिग्गज नेता ने बताया- क्यों नहीं हुई सीट शेयरिंग?

राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने मंगलवार को कहा कि विपक्षी दलों के भीतर सुर-ताल अब भी मेल नहीं खा रहे। बिहार में विपक्षी गठबंधन में हर पार्टी एक दूसरे के पीठ में छूरा घोंपने में लगे हैं। उम्मीदवार ढूंढ़ना तो दूर अभी तक सीट शेयरिंग तक नहीं हो पाया है।

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जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने दावा किया कि एनडीए बिहार की सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करेगा। हर सीट को लेकर एनडीए के प्रति सकारात्मक रुझान है। विपक्ष की मौकापरस्ती और परिवारवाद को लेकर लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष की स्थिति यह है कि उन्हें एनडीए को ढंग से चुनौती देने वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे। यही वजह है कि विपक्ष का मनोबल पूरी तरह से गिरा हुआ है। चुनाव को लेकर उनके पास न कोई नीति है और न ही साफ नीयत। हर दल के युवराज घमंड से चूर हैं।

रोजगार मतलब नीतीश कुमार का नारा गूंज रहा- जदयू

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने मंगलवार को कहा कि पूरे प्रदेश में रोजगार मतलब नीतीश कुमार का नारा गूंज रहा है। वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नौकरी के मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रहे हैं।

जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि युवाओं को नौकरी दिलाने में तेजस्वी यादव की कोई भूमिका नहीं थी। महागठबंधन की सरकार में राजद कोटे से आए शिक्षा मंत्री अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितने सजग और संवेदनशील थे यह बात भी जगजाहिर है।

उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासनकाल में केवल 33 हजार 499 शिक्षकों की बहाली हुई थी जबकि नीतीश कुमार ने विगत 18 वर्षों के अपने कार्यकाल में 5 लाख 61 हजार लोगों को शिक्षक की नौकरी दी। अपने शासनकाल की चर्चा करने का साहस राजद के पास नहीं है। जनता सभी का हिसाब और सब कुछ याद रखती है।

उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर तो यह होता कि तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कार्यकाल में हुई बहाली का लेखा-जोखा भी जनता के सामने रखने की हिम्मत जुटा पाते।

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