Bihar News: बिहार में एक और बड़ा घोटाला? नीतीश सरकार कराएगी जांच; MRP पर घिर गए मंत्री
नीतीश सरकार मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना में हुई अनियमितता की जांच कराएगी। पंचायतीराज मंत्री केदार गुप्ता ने सदन को यह भरोसा दिया कि योजना में गुणवत्ता की जांच एनआइएसई एवं एनएबीएल लैब परीक्षण प्रतिवेदन द्वारा की जाती है। इसके साथ ही लगे हुए सोलर स्ट्रीट लाइट को रैंडम आधार पर चिह्नित कर जांच किए जाने का प्रविधान है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics: बिहार सरकार मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना में अनियमितता की जांच कराएगी। राजद के एमएलसी सौरभ कुमार के तारांकित प्रश्न पर पंचायतीराज मंत्री केदार गुप्ता ने सदन को यह भरोसा दिया। विपक्ष के प्रश्न पर सत्तापक्ष के साथ ही निर्दलीय विधान पार्षदों ने भी मंत्री के उत्तर पर असंतोष प्रकट करते हुए पूरक प्रश्न के माध्यम से आपत्ति जताई।
कई सदस्यों की आपत्ति पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सिर्फ प्रश्नकर्ता को बोलने की अनुमति दी। विपक्ष के मांग पर सोलर स्ट्रीट लाइट गुणवत्ता को लेकर मंत्री ने कहा कि सामग्री आपूर्ति के पूर्व गुणवत्ता की जांच एनआइएसई एवं एनएबीएल लैब परीक्षण प्रतिवेदन द्वारा प्राप्त की जाती है। इसके साथ ही लगे हुए सोलर स्ट्रीट लाइट को रैंडम आधार पर चिह्नित कर जांच किए जाने का प्रविधान है।
यही नहीं, सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए वेयर हाउस में सामग्री आपूर्ति के उपरांत ब्रेडा एवं जिला स्तर के पदाधिकारी द्वारा आपूर्ति की गई सामग्री का निरीक्षण किया जाता है। आपूर्ति की गई सामग्री के मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं रहने की स्थिति में कार्यान्वयन एजेंसी के विरूद्ध डिबार एवं ब्लैकलिस्टेड करने की कार्रवाई का प्रविधान है।
एमआरपी पर घिरे मंत्री, सदस्यों ने ली चुटकी
पंचायतीराज मंत्री के उत्तर पर कटाक्ष करते हुए पूरक प्रश्न के माध्यम से सौरभ कुमार ने कहा कि 16 दिसंबर-2024 को मंत्री ने स्वयं अपने बयान में कहा- हां, जो भी सोलर लाइट की खरीदारी हुई है, यह उनके संज्ञान में आया है और कहीं न कहीं इसमें गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच होगी।
इसमें यह स्पष्ट लिखा गया है कि 17 हजार की जो सोलर लाइट है, वह 30 हजार पांच सौ रुपये में खरीदी गई है। इसमें सरकार की तरफ से न्यूनतम दर 30 हजार 500 रुपया लिखा हुआ है। आसन का ध्यान आकृष्ट करते हुए सदस्यों ने चुटकी ली। सौरभ ने कहा कि आज तक हमलोग अधिकतम दर जानते हैं, एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस)।
इस सरकार की यह पहली खरीद है, जिसमें एनआरपी आया है यानी न्यूनतम रिटेल प्राइस। किसी भी चीज की जो प्राइस होगी खरीदने की, वह न्यूनतम कैसे हो सकती है। अधिकतम हो सकती है कि इस दाम तक हम खरीदेंगे। इस दौरान अब्दुलबारी सिद्दीकी, महेश्वर सिंह, तरूण कुमार एवं प्रोफेसर संजय कुमार सिंह ने भी पूरक प्रश्न के माध्यम से गड़बड़ी की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट किया।
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