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    Bihar Politics: नीतीश कुमार के 'दोस्त' कितने असरदार? पहले चरण के बाद साफ हो जाएगी पिक्चर

    Updated: Fri, 29 Mar 2024 08:05 PM (IST)

    लोकसभा चुनाव का पहला चरण नीतीश कुमार के दोस्त जीतन राम मांझी और उनकी पार्टी की ताकत की भी परीक्षा लेगा। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को गया सहित कुल चार सीटों पर मतदान हैं। इनमें तीन लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां मांझी की पार्टी के सभी चार विधायक हैं। औरंगाबाद के इमामगंज से जीतन राम मांझी खुद विधायक हैं।

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    नीतीश कुमार के 'दोस्त' जीतनराम मांझी की अग्निपरीक्षा। (फाइल फोटो)

    कुमार रजत, पटना। लोकसभा चुनाव का पहला चरण पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ उनके दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की ताकत की भी परीक्षा लेगा। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को चार सीटें गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई पर मतदान हैं। इनमें तीन लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मांझी के दल हम के सभी चार विधायक हैं।

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    औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत इमामगंज से जीतन राम मांझी खुद विधायक हैं। वहीं टिकारी से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार विधायक हैं। जमुई के सिकंदरा से प्रफुल्ल मांझी जबकि गया के बाराचट्टी से ज्योति मांझी हम विधायक हैं।

    पिछले लोकसभा चुनाव में सभी 3 सीटों पर मिली थी हार

    पिछले लोकसभा चुनाव में हम को महागठबंधन की ओर से तीन सीटें मिली थीं। इनमें गया, औरंगाबाद और नालंदा सीटें शामिल थीं।

    मोदी लहर में हम एक भी सीट नहीं जीत पाई, मगर हम ने इसमें सबसे अच्छा प्रदर्शन औरंगाबाद सीट पर किया था। यहां राजग के विरोध में हम के उम्मीदवार उपेन्द्र प्रसाद ने तीन लाख 58 हजार से अधिक वोट बटोरे थे।

    औरंगाबाद में भाजपा को दी थी टफ फाइट

    औरंगाबाद में भाजपा के सुशील कुमार सिंह नजदीकी मुकाबले में करीब 72 हजार वोटों से चुनाव जीते थे। इस बार हम राजग के साथ हैं और सुशील कुमार सिंह फिर से औरंगाबाद में उम्मीदवार हैं। ऐसे में देखना अहम होगा कि हम अपने पुराने विरोधी को इस बार जीत दिलाने में कितनी मदद कर पाता है।

    गया से संसद जा पाएंगे जीतनराम मांझी?

    बात अब गया सीट की जहां से जीतन राम मांझी खुद उम्मीदवार हैं। पिछली बार गया सीट पर लड़ते हुए मांझी को तीन लाख 14 हजार वोट मिले थे मगर वह जदयू के विजय कुमार मांझी से करीब डेढ़ लाख वोटों से चुनाव हार गए थे।

    इस बार जीतनराम मांझी राजग के साथ हैं और विजय मांझी बेटिकट हो गए हैं। मांझी के लिए राजग की विजयी सीट बचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

    जमुई सीट का क्या है हाल?

    पहले चरण की जमुई सीट भी राजग के लिए महत्वपूर्ण है। यह सीट सुरक्षित श्रेणी में है, जो चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) के खाते में आई है। इस सीट पर पिछड़ी जाति का बड़ा वोट बैंक है, जिसे राजग ने चिराग और मांझी के बूते साधने की रणनीति बनाई है।

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