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Chhath Puja 2023: नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ आज से, जानें पूजा विधि से लेकर तिथि तक सब कुछ यहां

Nahay Khay शुक्रवार यानी आज से सूर्योपासना का महापर्व कार्तिक छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय से शुरू होगा। पहले दिन छठ व्रती गंगा स्नान करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व में सूर्योपासना से छठी माता प्रसन्न होती हैं। परिवार में सुख शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्य देव के प्रिय तिथि पर पूजा अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

By Akshay PandeyEdited By: Sanjeev KumarFri, 17 Nov 2023 07:53 AM (IST)
Chhath Puja 2023: नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ आज से, जानें पूजा विधि से लेकर तिथि तक सब कुछ यहां
नहाय खाय के साथ महापर्व छठ की शुरुआत (जागरण)

जागरण संवाददाता, पटना। सुन ल अरजिया हमार, हे छठी मैया... राजधानी सहित पूरे प्रदेश में शुक्रवार से सूर्योपासना का महापर्व कार्तिक छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय से शुरू होगा। पहले दिन छठ व्रती गंगा स्नान करेंगे।

शनिवार को लोहंडा खरना पर पूरे दिन उपवास कर शाम में सूर्य देव की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। 19 नवंबर रविवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीष लेते हुए पर्व का समापन होगा। खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि शनिवार को सर्वार्थ सिद्ध योग में होगा। व्रत का समापन धनिष्ठा नक्षत्र में होगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पर्व में सूर्योपासना से छठी माता प्रसन्न होती हैं। परिवार में सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्य देव के प्रिय तिथि पर पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से रोग, कष्ट, शत्रु का नाश, सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के आधार पर बताया कि धृति योग, जयद योग व रवि योग में व्रती नहाय-खाय करेंगे। इस दिन गंगा में स्नान कर पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवला की चटनी ग्रहण कर अनुष्ठान आरंभ करेंगे। इस दिन गेहूं को गंगाजल से धोने के बाद सूखाया जाएगा। गेहूं में कोई पक्षी, कीड़े का स्पर्श न हो, इसके लिए व्रती व स्वजन पारंपरिक गीत गाते हुए रखवाली करेंगे।

एक नजर में छठ महापर्व

  • नहाय-खाय : शुक्रवार 17 नवंबर
  • खरना : शनिवार 18 नवंबर
  • संध्या अर्घ्य : रविवार 19 नवंबर
  • प्रातः अर्घ्य : सोमवार 20 नवंबर

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