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    मुंगेर का सीताकुंड मेला अब राजकीय मेला होगा, भव्य मंदिर का होगा निर्माण : सम्राट

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 06:22 PM (IST)

    सीताकुंड मेला प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा से प्रारंभ होकर फाल्गुन पूर्णिमा तक आयोजित होता है। यह अवधि एक माह की होती है। इसमें मुंगेर तथा आस-पास के भागलपुर खगड़िया बेगूसराय सहरसा पूर्णिया लखीसराय आदि जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। गंगा तट के निकट होने के कारण कुछ श्रद्धालु जलमार्ग से भी पहुंचते हैं।

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    मुंगेर का सीताकुंड मेला अब राजकीय मेला होगा

    राज्य ब्यूरो,पटना। मुंगेर जिलान्तर्गत सीताकुंड मेला को राजकीय मेला का दर्जा मिल गया है। इसे बिहार राज्य मेला प्राधिकार के प्रबंधन के अंतर्गत ले लिया गया है। इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी गई है। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को बताया कि इस मेला की पौराणिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पर्यटकीय महत्ता के दृष्टिगत सरकार ने यह निर्णय लिया है।

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    सीताकुंड मेला प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा से प्रारंभ होकर फाल्गुन पूर्णिमा तक आयोजित होता है। यह अवधि एक माह की होती है। इसमें मुंगेर तथा आस-पास के भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, पूर्णिया, लखीसराय आदि जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। पूरे वर्ष में लगभग 5000 विदेशी पर्यटक भी सीताकुंड मंदिर में पूजा-पाठ एवं भ्रमण करने आते हैं। गंगा तट के निकट होने के कारण कुछ श्रद्धालु जलमार्ग से भी पहुंचते हैं। मेला परिसर में काफी संख्या में फर्नीचर की दुकानें लगती हैं।

    जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर गंगा के तट पर

    मुंगेर सदर अंचल क्षेत्र में अवस्थित ऐतिहासिक एवं पौराणिक सीताकुंड मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर गंगा नदी तट पर अवस्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थल पर माता सीता ने अग्नि-परीक्षा दी थी। चौधरी ने बताया कि राज्य में परंपरागत धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेलों का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। सीताकुंड मेला भी इसी श्रेणी में है।

    सीताकुंड से गर्म जल-प्रवाह, शेष चार कुंड से शीतल

    मुंगेर के सीताकुंड में माता सीता, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, श्रीलक्ष्मण, श्रीभरत और श्रीशत्रुघ्न के कुंड भी अवस्थित हैं। माता सीता की अग्नि-परीक्षा के उपरांत सीताकुंड से अनवरत गर्म जल प्रवाहित होता है, जबकि शेष चारों कुंड से ठंडा जल प्रवाहित होता है। इस स्थल पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है, जहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं सिद्ध करने के लिए पहुंचते हैं।