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    शासन व्यवस्था के खिलाफ जन-जन संन्यासी के रूप में हुआ विद्रोही

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    Updated: Sun, 13 Dec 2020 01:59 AM (IST)

    कालिदास रंगालय में शनिवार को तीन दिवसीय त्रिवेणी नाट्य महोत्सव का आगाज हुआ। माध्यम फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित महोत्सव के पहले दिन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय लिखित व धर्मेश मेहता के निर्देशन में आनंदमठ नाटक का मंचन हुआ।

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    कालिदास रंगालय में नाटक का मंचन करते कलाकार।

    जासं, पटना : कालिदास रंगालय में शनिवार को तीन दिवसीय त्रिवेणी नाट्य महोत्सव का आगाज हुआ। माध्यम फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित महोत्सव के पहले दिन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय लिखित व धर्मेश मेहता के निर्देशन में 'आनंदमठ' नाटक का मंचन हुआ। इसका उद्घाटन कला शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार पांडेय, समाजसेवी डॉ. अनिल सुलभ व जन शिक्षा सहायक निदेशक रमेश चंद्रा आदि ने किया। 

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    नाटक के दौरान कलाकारों ने अपने अभिनय से पश्चिम बंगाल के 1770 से 1774 के बीच के कालखंड की घोर अव्यवस्था को दर्शाया। यह वो वक्त था, जब शासन व्यवस्था के नाम पर कोई चीज नहीं थी और शासक वर्ग द्वारा लूट-खसोट चरम पर थी।  बेरहमी से टैक्स वसूले जा रहे थे। चारों ओर बंगाली समाज का दुख-दर्द व्याप्त होने के साथ शासन व्यवस्था के खिलाफ बंगाल का जन-जन संन्यासी के रूप में विद्रोही हो गया था। अंधकार भरे युग में 'आनंदमठ' के जरिए कलाकारों ने दर्शकों को रास्ता दिखाया। मंच पर नरेंद्र प्रसाद, डॉ. राजा बाबू, ऋतुराज धर्मेश मेहता, अनिमेष कुमार, प्रिंस राज, मिथिलेश सिन्हा, सोनल कुमारी, रजनी राय, राजू कुमार आदि ने अपने अभिनय से प्रस्तुति को दमदार बनाया।