MBA Admission 2025: एमबीए के लिए कॉलेज चुनते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं तो पछताना पड़ेगा
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) सहित देशभर के ज्यादातर संस्थानों में एमबीए के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में अगर आप भी अपने लिए बेहतर कॉलेज की तलाश कर रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। केवल अच्छी इमारत या दूसरे के कहने में आकर प्रवेश नहीं ले वरना आपको पछताना पड़ सकता है।

जागरण संवाददाता, पटना। MBA Admission 2025: भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) सहित देश के अधिसंख्य प्रबंधन संस्थानों में एमबीए नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। ऐसे में विशेषज्ञ विद्यार्थियों को अपने स्तर से कुछ महत्वपूर्ण कसौटी पर परखने के बाद ही अंतिम निर्णय लेने की सलाह दे रहे हैं।
इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
कैंपस, क्लासरूम, खेल का मैदान, छात्रावास आदि की सुविधाओं के साथ-साथ फैकल्टी की उपलब्धता व गुणवत्ता, शिक्षण विधि, इंटर्नशिप के अवसर, प्लेसमेंट का ग्राफ, अधिकतम व औसतन के साथ-साथ न्यूनतम सीटीसी आदि की जानकारी प्राप्त करना श्रेयस्कर होता है।
एडमिशन के लिए ये चीजें जरूरी
आइआइएम कोलकाता के पूर्व फैकल्टी प्रो. आरपी सिन्हा ने बताया कि छात्र के पेशेवर करियर में कक्षा की विविधता, आवासीय कार्यक्रम, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इंटर्नशिप, उद्योग संपर्क, पूर्व छात्रों का नेटवर्क, पूर्व का प्लेसमेंट ग्राफ आदि सहायक होता है।
पैकेज के बारे में जानकारी
कार्यानुभव वाले छात्रों की तुलना में स्नातक के बाद नामांकन वालों को ज्यादा सर्तकता बरतने की जरूरत होती है। एमबीए स्कूल का चयन करते समय छात्र आरओआई (निवेश पर रिटर्न) से अवगत हो लें। पैकेज के भी सभी बिंदुओं को समझना चाहिए।
एमबीए स्कूल सामान्य तौर पर सीटीसी (कंपनी की लागत) बताते हैं। काउंसिलिंग में अपनी ब्रांच का अधिकतम व औसत के साथ-साथ न्यूनतम सीटीसी की भी जानकारी प्राप्त करें।
छात्र शिकायत करते हैं कि प्लेसमेंट कंपनी ने उन्हें उच्च सीटीसी प्रदान किया, लेकिन उनका नेट वेतन काफी कम निकला।
तीन से पांच वर्षों के आंकड़े से करें मूल्यांकन
- पटना विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग के प्रमुख रहे प्रो. एनके झा ने बताया कि दूसरे और तीसरे स्तर के संस्थानों में नामांकन से पहले छात्रों को संस्थान से कुछ प्रश्न पूछने चाहिए।
- तीन से पांच वर्षों के आंकड़े के माध्यम से संस्थान का मूल्यांकन किया जा सकता है। छात्रों की अपेक्षित वेतन से नीचे कितना प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ।
एक बार जब वेतन का आधार तय हो जाता है तो प्रोत्साहन और बोनस उस संस्थान की प्लेसमेंट क्षमता की ताकत को इंगित करता है। अच्छे संस्थान प्लेसमेंट रिपोर्ट को तीसरे पक्ष से सत्यापित करवाते हैं ताकि छात्रों को प्लेसमेंट की गुणवत्ता की जानकारी मिल सके।
आरा : दो अंगीभूत कॉलेजों में प्रभारी प्राचार्य ने किया योगदान
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय ने दो अंगीभूत कॉलेजों में प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति की है। एएस कालेज, बिक्रमगंज, रोहतास में प्रो. अनुज रजक को बनाया गया है। वहीं एमवी कालेज, बक्सर में प्रो. प्रसुंजय कुमार सिन्हा को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है। दोनों ने योगदान कर लिया।
एएस कालेज में डा. सुंधाशु शेखर भास्करन की जगह पर प्रो. अनुज कुमार रजक ने योगदान किया। वहीं प्रो. प्रसुंजय कुमार सिन्हा पूर्व प्राचार्य सुभाष चंद्र पाठक के स्थान पर योगदान किया।
दोनों को प्रभारी प्राचार्य बनाये जाने पर प्रो. अवध बिहारी सिंह, प्रो. कृष्णा कांत सिंह, डॉ. आनंद भूषण पांडेय, प्रो. डीके सिंह, प्रो. शंभु शरण शर्मा, पूर्व सीनेटर अजय कुमार तिवारी मुनमुन, डॉ. अमित कुमार द्धिवेदी आदि ने बधाई दी है।



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