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    नक्सलियों को मिलेगा उन्हीं की भाषा में जवाब : राजनाथ

    By pradeep Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 17 Jan 2015 10:04 AM (IST)

    शुक्रवार को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया ज ...और पढ़ें

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    पटना : पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा। नक्सली समस्या के खिलाफ प्रभावित राज्य संयुक्त अभियान चलाएंगे। नक्सलियों को उनकी भाषा में जवाब दिया जाएगा। इस मुहिम में केंद्र की तरफ से हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों को नक्सल प्रभावित जिलों में तेज-तर्रार पुलिस अफसर को तैनात करने को भी कहा।

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    मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दोहराई। कहा कि वित्तीय हस्तांतरण की व्यवस्था अनुदान पर आधारित है, जिसने असमानता को बढ़ावा दिया है और बिहार जैसे गरीब राज्यों को लगातार क्षति पहुंचाई है। जिन राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा मिला उसने विकास की नई ऊंचाइयां हासिल कीं। बिहार को पिछड़ेपन से निकाल कर विकास का राष्ट्रीय औसत प्राप्त करने के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। झारखंड गठन के समय राज्य पुनर्गठन अधिनियम में दोनों राज्य के बीच पेंशन राशि के वहन का फार्मूला दिया गया था। इसके तहत 2009-10 तक झारखंड से बिहार को 2584 करोड़ रुपये दिए जाने थे, जो अभी तक नहीं मिले। झारखंड को दिए जाने वाले केंद्रीय अनुदान में कटौती कर बिहार को उसके हिस्से की राशि दी जानी चाहिए।

    मांझी ने कहा कि नदियों के पानी में बिहार, बंगाल और झारखंड के बीच समन्वय जरूरी है। सोन नदी के जल में बिहार की हिस्सेदारी के लिए कदवन जलाशय का निर्माण आवश्यक है। 2014 में बिहार द्वारा नदियों को जोडऩे का डीपीआर जल संसाधन मंत्रालय को सौंपा गया था, जो अभी तक केंद्र सरकार के पास लंबित है। नेपाल से आने वाली नदियां अपने प्रवाह के साथ अत्याधिक मात्रा में गाद लेकर आती है, जिसके चलते उत्तर बिहार में बाढ़ आती है। गाद की समस्या का प्रबंधन केंद्र स्तर पर किया जाना आवश्यक है।

    झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बिहार की सीमा से सटे इलाकों में नक्सली समस्या का जिक्र किया। कहा कि इस मामले में दोनों राज्यों का आपस में सहयोग निहायत जरूरी है। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं हो सके। उनके प्रतिनिधियों ने संबंधित राज्यों की समस्याएं उठाईं। पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से आदिवासियों को राहत प्रदान करने के लिए अतिरिक्त चावल आवंटन की मांग की गई। मौके पर बिहार सरकार की तरफ से बिहार और पश्चिम बंगाल द्वारा अपर महानंदा जल योजना पर 1978 के समझौते के तहत फुलवारी बांध पर आने वाली लागत को साझा करने, पोस्ट मैट्रिक और प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत केंद्रीय हिस्से को जारी करने का मुद्दा उठाया।

    गृह मंत्रालय ने बैठक में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएनए), पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में राज्य पुलिस बल के आधुनिकीकरण आदि मामले उठाए। नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो ने पूर्वी क्षेत्रों के राज्यों में मादक दवाओं के अवैध व्यापार पर नियंत्रण की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने राष्ट्रीय भैषजिक (फार्मेसी) शिक्षा व अनुसंधान संस्थान कोलकाता और हाजीपुर के लिए भूमि उपलब्ध कराए जाने की बात उठाई। इस दौरान पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक को छह माह में आयोजित करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई।