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    Bihar News: महुआ ग्रुप के मालिक से चार दिनों तक चलेगी पूछताछ, कोर्ट से ED को रिमांड की मिली मंजूरी

    Updated: Sat, 25 Jan 2025 08:05 PM (IST)

    महुआ ग्रुप की कंपनीमहुआ ग्रुप की कंपनी के मालिक जवाहर लाल साह को करोड़ों रुपये के अवैध धन शोधन मामले में ईडी की विशेष अदालत ने चार दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर सौंपने का आदेश दिया है। ईडी ने अदालत में आवेदन देकर आरोपितों से हिरासती पूछताछ के लिए सात दिनों के लिए रिमांड पर देने की मांग की थी।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, पटना। करोड़ों रुपयों के अवैध धन शोधन मामले में ईडी के विशेष न्यायाधीश विपिन बिहारी राय की अदालत ने शनिवार को आरोपित महुआ ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक जवाहर लाल साह को चार दिनों के लिए ईडी को सौंपने का आदेश जेल अधीक्षक को दिया है।

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    ईडी ने इस मामले में अदालत में आवेदन देकर आरोपितों से हिरासती पूछताछ के लिए सात दिनों के लिए रिमांड पर देने की मांग की थी।

    अदालत ने आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। यह मामला वर्ष 2013 से 2019 के बीच का है।

    पैसे डबल करने का मामला

    • महुआ ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक जवाहरलाल साह ने निवेशकों को 4 साल और 5 साल में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर करोड़ों रुपये का निवेश करवाया था।
    • जब निवेशकों ने समय पूरा होने के बाद अपने रुपयों के लिए दबाव बनाना शुरू किया तब आरोपित कंपनी बंद कर फरार हो गया।
    • इस मामले में मुजफ्फरपुर में एक मुकदमा किया गया जिसमें अवैध धन शोधन का मामला प्रकाश में आने पर ईडी मुकदमा कर जांच कर रही है।

    जेल में बंद तीन अधिवक्ताओं की मांगी गई पुलिस रिमांड

    उधर, करीब 50 करोड़ रुपये के अवैध धन शोधन मामले में अवैध धन शोधन निरोधक अधिनियम पीएमएल एक्ट के विशेष न्यायाधीश सह पटना के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रूपेश देव की अदालत में ईडी ने शनिवार को एक आवेदन दाखिल किया।

    ईडी ने आवेदन में जेल में बंद इस मामले के आरोपित अधिवक्ता विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह और विजय कुमार से हिरासती पूछताछ के लिए 14 दिनों के पुलिस रिमांड पर सौंपे जाने की प्रार्थना की है।

    अदालत ने ईडी के दाखिल किए गए आवेदन पर तीनों आरोपितों को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तिथि मुकर्रर की है।

    ईडी ने तीनों आरोपित अधिवक्ताओं को गिरफ्तार कर 23 जनवरी को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था।सीबीआइ ने रेलवे दावा अधिकरण की पटना पीठ में हुए घोटाले को लेकर दो प्राथमिकी दर्ज की है।

    इसमें तीनों अधिवक्ताओं को भी आरोपित किया गया है। मामले की जांच के दौरान करोडों रुपयों की राशि के धन शोधन का मामला प्रकाश में आने के बाद ईडी को जांच सौंपी गई। ईडी ने पीटी जेड ओ 8/2023 के रूप में अपनी प्राथमिकी की है।

    प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि वर्ष 2015 से 2017 के बीच रेलवे दावा अधिकरण पटना पीठ के तत्कालीन पीठासीन पदाधिकारी आर के मित्तल ने अधिवक्ता विद्यानंद सिंह और उसकी पत्नी अधिवक्ता रिंकी सिंह की टीम के लगभग 960 मुकदमों में क्षतिपूर्ति दावा राशि दिए जाने का आदेश पारित किया था।

    आरोप के अनुसार, इन मामलों में मृतक के आश्रितों के बैंक खातों का सत्यापन अधिवक्ताओं के द्वारा किए जाने का आदेश दिया गया था।

    अधिवक्ताओं ने बिना आश्रितों की जानकारी के बैंक खाता खुलवाकर उसमें दावा की राशि प्राप्त की। फिर उसे अपने एवं अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में स्थानांतरित करा लिया।

    मृतक के आश्रितों को छोटी-मोटी राशि ही दी। 960 मामलों में करीब 50 करोड़ रुपयों की क्षतिपूर्ति दावा राशि जारी की गई थी।

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