ED Raid: बिहारशरीफ में वकील के घर पर ईडी का छापा, भाई हैं JDU नेता; ये है पूरा मामला
बिहार के नालंदा जिले में रेलवे क्लेम घोटाला मामले में ईडी ने अधिवक्ता विद्यानंद सिंह के घर छापामारी की। करीब 10 घंटे तक चली छापामारी में कई महत्वपूर्ण कागजात जब्त किए गए। इस घोटाले में रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए करीब 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। इस छापामरी के बाद जिले में हड़कंप मच गया है।

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ। नालंदा जिले के इस्लामपुर थाना क्षेत्र के मुजफ्फरा गांव ईडी की टीम ने बुधवार को बिहार में हुए रेलवे क्लेम घोटाला मामले में अधिवक्ता विद्यानंद सिंह उर्फ विवेक सिंह के घर छापामारी की।
अधिकारियों की टीम ने करीब 10 घंटे तक उनके घर में कागजात को खंगाला और अपने साथ कई महत्वपूर्ण कागजात को अपने साथ ले गयी।
हालांकि, अधिकारियों ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। इस घोटाले में रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए करीब 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है।
यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी के संज्ञान में आया था। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है।
छापामारी परमानंद सिंह उर्फ सुमन पटेल के घर पर हुई है। ये अर्चना सिन्हा जिला परिषद सदस्य पश्चिमी के पति हैं और जदयू नेता भी हैं। इनके बड़ा भाई विद्याननद सिंह उर्फ विवेक सिंह पेशे से वकील हैं। जो रेलवे क्लेम देखते हैं और लोगों को क्लेम दिलाते हैं।
सुबह सुबह पहुंच गए अधिकारी
बुधवार की सुबह 5 बजे 2 गाड़ियों से ईडी की टीम मुजफरा गांव पहुंची थी। जब तक घर के लोग समझ पाते अधिकारी और पुलिस के जवान घर को घेराबंदी कर कागजात की जांच शुरू कर दी।
ईडी की यह कार्रवाई बिहार के पटना और नालंदा के अलावा कर्नाटक के मैंगलुरु में भी चल रही है। इस घोटाले में आरोप है कि रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दावे दायर करके बड़ी रकम हड़पी गई थी।
इन दावों में कहा जाता था कि कर्मचारी किसी दुर्घटना या बीमारी के शिकार हुए हैं और उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए।
खासकर, रेलवे न्यायिक अधिकारी रहे आर.के. मित्तल और वकील बी.एन. सिंह के ठिकानों पर छापामारी की गई है। आर.के. मित्तल को कुछ साल पहले भ्रष्टाचार के आरोप में सेवा से बर्खास्त किया गया था।
रेलवे में हुए करोड़ों के इस घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति उदय यू. ललित की पीठ के निर्देश पर सीबीआई ने यह मामला दर्ज किया था।
पूरे रैकेट में कई लोगों की मिलीभगत
माना जा रहा है कि इस घोटाले में रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दावे दाखिल किए गए थे और फिर उन दावों के आधार पर बड़ी रकम हड़पी गई थी। इस पूरे रैकेट में कई लोगों की मिलीभगत थी।
सूत्रों की माने तो एक-एक व्यक्ति के नाम पर चार-चार बार धन की उगाही की गई। मामला वर्ष 2015-2018 के बीच का है। सीबीआई की कार्रवाई को आधार बनाकर प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच शुरू की थी।
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