Subhash Yadav : लालू यादव के साले सुभाष यादव ने किया सरेंडर, कुर्की-जब्ती करने जेसीबी लेकर घर पहुंची पुलिस
बिहार में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की सदन में दी गई चेतावनी का असर दिखाई देने लगा है। मंगलवार को कानून ने राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे साले सुभाष यादव पर अपना शिकंजा सक दिया। दरअसल पुलिस कोर्ट का आदेश लेकर कुर्की-जब्ती के लिए जेसीबी लेकर उनके घर पहुंची थी। वहीं खुद सुभाष ने इसके बाद सरेंडर कर दिया।
जागरण संवाददाता, पटना। बिहटा थाने में रंगदारी एवं जमीन रजिस्ट्री के बाद रुपये हड़पने के एक मामले में आरोपित राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के साले पूर्व राज्यसभा सदस्य सुभाष प्रसाद उर्फ सुभाष यादव के घर की कुर्की करने मंगलवार की दोपहर जैसे ही पुलिस जेसीबी के साथ पहुंची तो उन्होंने पटना सिविल कोर्ट के एमपी/एमएलए विशेष न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया।
विशेष न्यायाधीश सारिका बहालिया ने आरोपित को 26 फरवरी तक के लिए आदर्श केंद्रीय कारा, बेउर जेल भेज दिया। आरोपित पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात एवं रंगदारी से संबंधित बिहटा थाना में कांड संख्या 425/2023 दर्ज है।
सुभाष यादव के घर कुर्की करने जेसीबी लेकर पहुंची एएसपी दानापुर।
इस मामले में सुभाष यादव के अलावा उनकी पत्नी रेणु देवी, बेटे समेत सात लोग आरोपित हैं। सुभाष यादव का घर हवाई अड्डा थाना क्षेत्र के कौटिल्य नगर की विधायक कालोनी स्थित प्लाट संख्या 201 पर है।
इस पते पर बिहटा थाने के तत्कालीन अंचल निरीक्षक कमलेश्वर प्रसाद सिंह ने 15 दिन पहले 30 जनवरी को अदालत में उपस्थित होने के लिए इश्तेहार चिपकाया था।
सरेंडर के बाद रोक दी कार्रवाई
इश्तेहार की अवधि पूरी होने के बाद दानापुर एएसपी दीक्षा के नेतृत्व में बिहटा थाने की पुलिस कोर्ट से आदेश लेकर सुभाष यादव की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने आई थी। एएसपी ने बताया कि न्यायालय से सुभाष यादव के समर्पण करने की सूचना आते ही कार्रवाई रोक दी गई।
गत वर्ष चार मई को नेउरा ओपी (अब नेउरा थाना) क्षेत्र के बेला गांव निवासी भीम वर्मा ने पूर्व राज्यसभा सदस्य सुभाष यादव, उनकी पत्नी, बेटे समेत सात आरोपितों के विरुद्ध लिखित शिकायत की थी। भीम ने नेउरा ओपी में आवेदन दिया था।
उस समय बिहटा थाने में नेउरा ओपी में आए आवेदनों पर प्राथमिकी होती थी, लेकिन कांड का अनुसंधानकर्ता तत्कालीन ओपी प्रभारी प्रभा कुमारी को बनाया गया था।
पटना के एमपी एमएलए कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे पूर्व एमपी सुभाष यादव।
यह है आरोप
भीम का आरोप था कि अरुण कुमार उर्फ मुंशी उर्फ मुखिया ने उनके पिता सुरेश वर्मा से एक भूखंड का एग्रीमेंट कराया था, लेकिन तीन वर्ष बाद भी उसने रजिस्ट्री नहीं करवाई।
उनके पास ही एग्रीमेंट का मूल कागज भी था। 27 फरवरी 2021 को सुभाष यादव ने भीम को काल कर माता-पिता को आवास पर लाने के लिए कहा। वहां अरुण पहले से मौजूद था।
अरुण की सहमति पर भीम ने अपनी मां व पिता से पूर्व सांसद की पत्नी रेणु देवी के नाम जमीन की रजिस्ट्री करा दी।
बाद में जमीन की एवज में मिले 60 लाख 50 हजार रुपये पूर्व सांसद और उनके लोगों ने बंदूक की नोक पर वापस ले लिए। अब जमीन का मालिकाना भी अपने पास रखे हैं।
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