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    Acharya Kishore Kunal: 21 साल में नौकरी, फिर लिया वीआरएस; शानदार रहा किशोर कुणाल का IPS से आचार्य बनने तक का सफर

    आचार्य कुणाल किशोर का करियर बेदह शानदार रहा। उन्होंने महज 21 साल की उम्र में अपने पहले प्रयास में ही UPSC परीक्षा पास कर ली। इसके बाद साल 2001 तक नौकरी की। IPS रहते हुए अपने परिश्रम एवं ईमानदारी से किए गए कार्यों के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। साल 2001 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद वे समाजसेवा के कार्यों से जुड़ गए।

    By Niraj Kumar Edited By: Divya Agnihotri Updated: Mon, 30 Dec 2024 11:59 AM (IST)
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    शानदार रहा आचार्य कुणाल किशोर का करियर

    जागरण संवाददाता, पटना। आचार्य किशोर कुणाल का बतौर आइपीएस अधिकारी शानदार करियर रहा है। विद्यार्थी जीवन से लेकर आइपीएस अधिकारी के रूप में कार्य करने तक अपने परिश्रम एवं ईमानदारी के लिए वे हमेशा याद किये जाते रहेंगे।

    मुजफ्फरपुर में हुआ जन्म

    आचार्य किशोर कुणाल का जन्म 1950 में मुजफ्फरपुर के बरुराज में हुआ था। अपने गांव के हाईस्कूल से ही उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। उनकी प्रतिभा देखते हुए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई।

    कला में रुचि होने के कारण 1968 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर नामांकन लिया। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से ही इतिहास में ऑनर्स की परीक्षा पास की।

    पहले प्रयास में मिली UPSC परीक्षा में सफलता

    • 1971 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी। उस समय उनकी आयु 21 वर्ष नहीं होने के कारण केवल आइपीएस की परीक्षा में शामिल हो पाए और उसमें वे सफल हो गए। 1972 में वे आइपीएस अधिकारी बन गए। उन्हें गुजरात कैडर मिला था और मेहसाणा में पहली पोस्टिंग हुई।
    • 1978 में वे बिहार आ गए और 1984 तक राज्य के विभिन्न जिलों में एसपी रहे। 1983 से 1984 तक वे पटना के एसएसपी रहे। उसी समय उन्होंने महावीर मंदिर के विकास कार्यों की योजना बनाई।

    उन्होंने अपनी सेवा गृह मंत्रालय में भी दी थी। उसी दौरान उन्हें अयोध्या प्रकोष्ठ में ओएसडी नियुक्त किया गया था। उस समय वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। उसके बाद प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने भी उन्हें अयोध्या के लिए ओएसडी बनाए रखा।

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    2001 में लिया वीआरएस

    प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने भी राम मंदिर के मामले में आचार्य किशोर कुणाल की सेवाएं लीं। उसके बाद वे अपनी सेवा सीआइएसएफ में नौ साल तक डीआइजी एवं आइजी के रूप में दी। वे मई 2001 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।

    कड़क अधिकारी के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे

    आचार्य किशोर कुणाल एक कड़क आइपीएस अधिकारी के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। पटना में एसएसपी के रूप में उनके कार्य आज भी याद किए जाते हैं। एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए थे। स्टेशन स्थित महावीर मंदिर एवं अन्य संस्थान उसी के परिणाम हैं।

    धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप चलाया था अभियान

    धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष के रूप में मंदिरों में सुधार के लिए अभियान चलाया था। इस दौरान मंदिरों में संगत-पंगत चलाकर समाज में सुधार लाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया था।

    इस अभियान के दौरान पालीगंज मठ सहित कई मंदिरों में दलित पुजारी नियुक्त किए गए थे।

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