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    Bihar News: बिहार में जीविका दीदियां बनीं चाय कंपनी की मालकिन, महिलाओं को मिलेगा रोजगार

    Updated: Fri, 25 Apr 2025 10:28 PM (IST)

    बिहार में जीविका दीदियां अब चाय की खेती करेंगी और चाय फैक्ट्री चलाएंगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दी। किशनगंज में चाय बागान का पंजीकरण किया गया है और जीविका दीदियों का एक उत्पादक समूह तैयार किया गया है। वे चाय की खेती से लेकर मार्केटिंग तक का काम खुद संभालेंगी जिससे महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

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    खबर की प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, पटना। जीविका दीदियां अब चाय की खेती करेंगी, चाय फैक्ट्री चलाएंगी, साथ ही चाय कंपनी मालकिन भी बन गईं हैं।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लग गई। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने इससे संबंधित शुक्रवार को अधिसूचना भी जारी कर दी।

    इसके साथ ही स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के अंतर्गत विशेष परियोजना के तहत स्वीकृत टी- प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग इकाई, कालिदास किस्मत, पोठिया की भूमि, प्लांट एवं मशीनों को बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति को सौंप दी है।

    ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति संपोषित प्रोड्यूसर कंपनी का गठन भी किया जा चुका है। किशनगंज में चाय बगान का पंजीकरण हुआ है। यह जीविका दीदियों के चाय की खेती में उतरने का पहला चरण है।

    उनकी उपजाई चाय की ब्रांडिंग किस नाम से होगी, यह अभी तय नहीं हुआ है। बिहार के पूर्वी जिला में चाय की खेती एक अर्से से होती रही है। किशनगंज के पोठिया प्रखंड के किचकीपाड़ा कुसियारी में बिहार सरकार की चाय प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट है, जिसे सरकार ने दस साल के लिए लीज पर दे दिया है।

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    इस बीच चाय की खेती से जुड़ी जीविका दीदियों का उत्पादक समूह तैयार किया गया है। इन समूहों से जुड़ी जीविका दीदियों को चाय उद्योग के हर पहलू की जानकारी दी जाएगी।

    ताकि कंपनी शुरू होने पर चाय की खेती से लेकर मार्केटिंग तक के काम वे स्वयं कर सकें। इस चाय कंपनी के निदेशक मंडल से लेकर शेयर धारक तक जीविका दीदियां ही होंगी।

    चाय की खेती से दूर हुई बेरोजगारी

    किशनगंज में चाय की खेती से बेरोजगारों को रोजगार मिला है। मजदूरों का पलायन भी रुका है। वातावरण में नमी आई। बारिश होने लगी और यहां की मिट्टी में भी बदलाव साफ दिख रहे हैं।

    चाय की खेती के प्रति किशनगंज के लोगों के साथ-साथ बाहरी लोगों का भी रुझान बढ़ता गया। किशनगंज की जलवायु खास तौर पर चाय की खेती के लिए काफी सही मानी जाती है।

    खेती से होता है अच्छा मुनाफा

    एक किलो सामान्य चाय के उत्पादन में 100 से लेकर 150 रुपये तक की लागत आती है। जबकि उत्तम दर्जे की चाय पर 250 से लेकर 300 रुपये तक का खर्च आता है।

    गौरतलब है कि किशनगंज में सिर्फ चाय ही नहीं बल्कि ग्रीन चाय का भी उत्पादन किया जाता है। आज ज्यादातर किसान अपनी पारम्परिक खेती को छोड़कर चाय की खेती में जुट गए हैं।

    ऐसे में यदि जीविका दीदियां इस काम को आगे बढ़ाती हैं तो निश्चित रूप से इस उद्योग में तरक्की होगी और बड़े पैमाने पर महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

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