पटना, राज्य ब्यूरो: जेई साहब दफ्तर के बाहर दौड़ने लगे तो बिजली कंपनी की आर्थिक सेहत दुरुस्त होने की राह पर है। बिजली कंपनी के सीएमडी संजीव हंस का आंकलन है कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद बिजली कंपनी का राजस्व संग्रह 12 हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा। यह बिजली कंपनी के लिए रिकॉर्ड राजस्व होगा। वित्तीय वर्ष 2011-12 में यह राशि 10,742 करोड़ थी।
बिजली कंपनी के इस रिकॉर्ड राजस्व के पीछे किसी तरह के अभियान की कोई भूमिका नहीं है। यह मिशन फीडर के तहत संबंधित इलाके के जूनियर इंजीनियर (जेई) को दफ्तर से बाहर उनसे जुड़े इलाके मे दौड़ाने की वजह से संभव हुआ है। इस पूरे सिस्टम के तहत यह व्यवस्था की गई कि सभी इलाके में यह देखा जाए कि कौन से फीडर से कितनी बिजली जा रही है और उस हिसाब से संबंधित फीडर से कितना राजस्व आ रहा है।
जेई पर बनी बात तो बढ़ने लगा राजस्व, बिजली चोरी में भी कमी
इस क्रम में यह आंकलन किया गया कि किस फीडर से आपूर्ति के लिहाज से कम भुगतान हो रहा। इसके बाद उस इलाके के जेई को उन फीडरों के जबावदेह बनाया गया कि उन्हें किसी भी कीमत पर आपूर्ति के लिहाज से राजस्व संग्रह को बरकरार रखना है। इसके बाद जेई उक्त इलाके मे सक्रिय हो गए और राजस्व का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ गया। इस सिस्टम से बिजली चोरी भी नियंत्रित हो गई और राजस्व भी बढ़ गया।
राजस्व पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर का भी दिख रहा असर
बिजली कंपनी के आला अधिकारियों ने बताया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का भी बिजली कंपनी के राजस्व पर असर दिखा है। बिहार में अब तक 12, 29, 974 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग गए हैं। पटना में एक डिवीजन में तो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने का काम सौ प्रतिशत तक हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह काम शुरू हुआ है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने से राजस्व अग्रिम में मिल जा रहा है। वहीं, उपभोक्ताओं को भी सहूलियत हो रही है। उपभोक्ताओं के लिए यह व्यवस्था आरंभ हो गई है कि अब अपनी बिजली बिल वह खुद जनरेट कर सकते हैं। इसका असर भी राजस्व संग्रह पर दिखा है।
यह भी पढ़ें- Bihar: समस्तीपुर में इंटर के छात्र की हत्या, अपराधियों ने मुंह में मारी गोली; रेलवे लाइन पर फेंका मिला शव