जदयू ने तेजस्वी को बताया 'क्रेडिट चोर', कुशवाहा बोले- 15 साल की नाकामी छिपाकर 17 महीने का राग अलाप रहे
जदयू ने तेजस्वी यादव को क्रेडिट चोर बताते हुए कहा कि उनके पास 17 महीनों के झूठे दावे करने के अलावा कुछ नहीं है। जदयू ने राजद और कांग्रेस को दलित और अतिपिछड़ा विरोधी बताया और कहा कि उन्होंने कभी इन वर्गों के हितों को प्राथमिकता नहीं दी। जदयू नेताओं ने महागठबंधन के अति पिछड़ा अधिकार संकल्प पत्र को चुनावी ढोंग करार दिया।

राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को क्रेडिट चोर कहा है। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने गुरुवार को कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के पास 17 महीनों के झूठे ढोल पीटने के अलावा कोई ठोस मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा कि झूठे श्रेय की राजनीति को जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी। लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में भी वे इसी झूठ के सहारे जनता को भ्रमित करने का प्रयास करते रहे, लेकिन परिणाम सबके सामने हैं।
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह राजनीति की विडंबना है कि जिनके माता-पिता ने पूरे 15 वर्षों तक बिहार पर शासन किया, वे आज उन 15 वर्षों की चर्चा करने से बचते हैं। केवल 17 महीनों का झूठा राग अलापते रहते हैं।
इससे स्पष्ट है कि तेजस्वी यादव स्वयं मान चुके हैं कि उनके माता-पिता के 15 वर्षों का शासन हर मोर्चे पर असफल रहा। तेजस्वी यादव आगामी चुनाव में संभावित हार से घबराकर राजनीतिक हताशा में आधारहीन और अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजद और कांग्रेस का राजनीतिक अतीत सदैव दलित और अतिपिछड़ा विरोधी रहा है। उनकी नीतियों और योजनाओं में कभी इन समाजों के हितों की कोई प्राथमिकता नहीं रही।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद और मीडिया पैनलिस्ट किशोर कुणाल ने जदयू प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महागठबंधन की ओर से बुधवार को जारी अति पिछड़ा अधिकार संकल्प पत्र महज चुनावी ढोंग और अति पिछड़ा वर्ग को भरमाने की एक विफल कोशिश है।
तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो दिखावटी चिंता जतायी है, वह दरअसल उनके लंबे राजनीतिक इतिहास की सच्चाई को छिपाने का प्रयास है। जदयू नेताओं ने कहा कि यह वही राजद है, जिसने 15 वर्षों के शासन में न तो अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया और न ही उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया।
यही कांग्रेस पार्टी है, जिसने अपने दशकों के शासनकाल में अति पिछड़ों की उपेक्षा की, काका कालेलकर आयोग की सिफारिशों को ठुकराया और आरक्षण व्यवस्था को लगातार कमजोर किया।
आज जब नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा वर्ग विभाग और आयोग बनाकर मजबूत रोडमैप तैयार कर दिया है, तब चुनावी मौसम देखकर विपक्ष दिखावटी घोषणाओं का सहारा ले रहा है।
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