BPSC 70th Exam: किसने BPSC छात्रों को आंदोलन के लिए उकसाया? JDU के नए खुलासे ने मचाई खलबली
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की पीटी परीक्षा को लेकर हुए विवाद में कुछ नेताओं और कोचिंग संचालकों पर छात्रों को गुमराह करने का आरोप लगा है। जदयू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इन लोगों ने छात्रों को आंदोलन के लिए उकसाया और परीक्षा में अनियमितताओं के झूठे आरोप लगाए। पटना हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

राज्य ब्यूरो,पटना। जदयू ने कुछ कोचिंग संचालकों और विरोधी दलों के नेताओं पर बीपीएससी की पीटी परीक्षा की आड़ में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।
शनिवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा और मनीष यादव ने कहा कि छात्रों को उकसाकर कुछ राजनेताओं और निहित स्वार्थी तत्वों ने उन्हें जबरन आंदोलन में धकेल दिया था।
लगाए गए झूठे आरोप
बीपीएससी परीक्षा में अनियमितताओं और सीट बेचने के झूठे और अनर्गल आरोप लगाए गए। आंदोलन के क्रमवार घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे छात्रों के खिलाफ गंभीर साजिश करार दिया।
प्रवक्ताओं ने इस संबंध में पटना हाई कोर्ट के न्यायिक आदेश का भी उल्लेख किया। कोर्ट ने परीक्षा रद करने लिए दायर सभी याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया है।
इंटरनेट का किया गया इस्तेमाल
जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कोचिंग संचालकों ने परीक्षार्थियों को भड़काया गया। उन्हें आन्दोलन के लिए प्रेरित किया। हाई कोर्ट ने इस प्रवृति को गैर-जिम्मेदाराना बताया।
हाई कोर्ट ने इस पर चिंता जताई कि शिक्षा प्रणाली में बदलाव के कारण कोचिंग संस्थानों की जरुरत बढ़ी है। जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि कोचिंग संचालकों ने लाभ कमाने के उद्देश्य से आन्दोलन का समर्थन किया।
हाईकोर्ट ने याचिकाओं को किया खारिज
पटना हाईकोर्ट में 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक पीटी परीक्षा को रद करने से जुड़ी याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला आया। कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने 19 मार्च 2025 को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को सुनाया।
भविष्य में न उत्पन्न हो ऐसी स्थिति
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बीपीएससी एक हाई लेवल कमेटी बना कर यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो, जिससे परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़े।
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता पी.के. शाही ने कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं और परीक्षा पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई थी।
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