जन सुराज ने दिखाए अशोक चौधरी के भ्रष्टाचार के सबूत, मंत्री ने भेजा था 100 करोड़ का मानहानि नोटिस
जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर ने मंत्री अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जिसमें 200 करोड़ की संपत्ति बनाने का दावा किया गया। चौधरी ने मानहानि का नोटिस भेजा। जसुपा ने संपत्तियों के दस्तावेज जारी किए जिसमें कम कीमत पर खरीद का आरोप है। नीता चौधरी पर संपत्ति खरीद में अनियमितता और धोखाधड़ी का आरोप है मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

राज्य ब्यूरो, पटना। भाजपा के चार नेताओं के साथ ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी पर जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के तगड़े आरोप लगाए थे। आरोप यह कि पिछले दो वर्षों में चौधरी ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति बनाई।
पलटवार में चौधरी ने पीके को 100 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेजा और दावा किया कि आरोपों का कोई साक्ष्य नहीं। गुरुवार को प्रेस-वार्ता कर जसुपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती और महासचिव किशोर कुमार मुन्ना ने साक्ष्य भी सार्वजनिक कर दिया।
कम कीमत पर खरीदीं संपत्तियां
आरोप लगाया कि मंत्री की पत्नी नीता केसकर चौधरी, पुत्री शांभवी चौधरी और उनसे संबंधित मानव विभव विकास न्यास ने बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां कम कीमत पर खरीदीं। उस न्यास में एक शीर्षस्थ नौकरशाह की मां सेक्रेटरी हैं।
किशोर ने कहा कि नीता ने 2021 और 2022 में पटना स्थित दो प्रॉपर्टी की खरीद की, जिन पर लगभग सात करोड़ रुपये खर्च किए गए। एक संपत्ति के दस्तावेज में उन्होंने पति का नाम लिखा, जबकि दूसरी में पिता का। प्रश्न है कि अलग-अलग पहचान क्यों और इसके लिए धन कहां से आया?
सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित
बताया कि पंजाब नेशनल बैंक से तीन करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के एक मामले में नीता आरोपित भी हैं। वह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसी के साथ उन्होंने न्यास द्वारा खरीदी गई छह प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी जारी किए।
किशोर ने कहा कि 2021 और 2022 के बीच पटना के पॉश इलाकों में लगभग 47 करोड़ रुपये में संपत्तियां खरीदी गईं, जिनकी बाजार कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है। शांभवी की सगाई से विवाह तक की अवधि में ये संपत्तियां खरीदी गईं। प्रश्न है कि न्यास ने अचानक इतनी बड़ी खरीदारी क्यों की?
2019 से 2025 के बीच लेनदेन
चौधरी ने अपने पूर्व निजी सहायक योगेंद्र दत्त के माध्यम से संपत्ति खरीदी और बाद में उसे शांभवी के नाम कर दिया। तब शांभवी पढ़ाई कर रही थीं। 2019 से 2025 के बीच इस लेनदेन में लाखों रुपये का आदान-प्रदान हुआ, उसके बाद आयकर विभाग ने नोटिस भी भेजा।
इसी के साथ भारती और किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जसुपा की मांग है कि वे चौधरी से जवाब लें और अगर वे त्यागपत्र नहीं देते हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो जसुपा न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकती है, लेकिन पहले जनता का न्यायालय है।
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