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    Bihar Politics: राजद के लिए इन 5 लोकसभा सीट को जीतना अब आसान नहीं, मिल रही बड़ी चुनौती, पढ़िए समीकरण

    Bihar News बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर कर दी है। ऐसे में राजद भी तैयारी में लग गई है। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में 5 ऐसी सीटें हैं जहां लालू यादव की पार्टी को चुनौती मिलती दिख रही हैं। हालांकि लालू प्रसाद ने बिहार की सभी 40 सीटों पर आइएनडीआइए की जीत का दावा किया है।

    By Sunil Raj Edited By: Sanjeev KumarUpdated: Sun, 07 Jan 2024 03:35 PM (IST)
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    तेजस्वी यादव और लालू यादव (जागरण फाइल फोटो)

     सुनील राज, पटना। Bihar News: लोकसभा चुनाव में अब देर नहीं। चुनावी घोषणा का समय दिन प्रतिदिन नजदीक आ रहा है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश में चुनावी गतिविधियां जोर पकड़ने लगेगी। बिहार में भी चुनाव मैदान में उतरने वाले तमाम दल भी इस दौड़ में आगे रहने की अपनी कवायद को चरम पर ले जाने में जुट जाएंगे। 

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    लालू प्रसाद ने बिहार की सभी 40 सीटों पर आइएनडीआइए की जीत का दावा किया है। राजद की तैयारी बिहार में 17 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने की है। असल में राजद-जदयू जैसे दो प्रमुख दलों की रणनीति खुद के बीच 17-17 सीट, जबकि कांग्रेस चार और वाम दलों को दो सीट देने की है।

    ऐसे में बंटवारे में जो भी सीटें राजद की झोली में आएंगी उन सीटों पर पार्टी जीतने वाले उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में है। पार्टी ऐसे जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में है जो सीट जीत कर पार्टी की झोली में डालने में सक्षम हों।

    लेकिन पार्टी देख रही है कुछ ऐसी भी लोकसभा की सीटें हैं जिनपर जीत के लिए दमदार चेहरा न होने की स्थिति में पार्टी के लिए मुश्किल हो सकती है।

    वैशाली सीट पर चुनौती

    वैशाली ऐसी ही सीट है। 2019 में राजद ने यहां से रघुवंश प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया था। प्रसाद ने तीन लाख 29 हजार से अधिक वोट भी हासिल किए, बावजूद वे यहां से जीत नही पाए। लोजपा उम्मीदवार वीणा देवी यहां विजयी रहीं।

    अब रघुवंश प्रसाद रहे नहीं। ऐसे हालात में यहां से जिताऊ उम्मीदवार खोजना राजद के लिए आसान नहीं है। झंझारपुर की सीट का भी मामला ऐसा ही है। यहां से 2019 में राजद ने गुलाब यादव को प्रत्याशी बनाया था। मुकाबला जदयू उम्मीदवार रामप्रीत मंडल से था। मंडल ने उन्हें तीन लाख से अधिक मतों से पराजित कर दिया था।

    झंझारपुर की सीट से हाथ धोना पड़ सकता है

    इस बार राजद-जदयू एक ही साथ हैं। इस कारण पार्टी को झंझारपुर की सीट से हाथ धोना पड़ सकता है। यह चर्चा भी है कि राजद को अगर सीट मिल भी जाती है तो उम्मीदवार बदल जाएगा। मधेपुरा की सीट पर 2019 के चुनाव में शरद यादव राजद के उम्मीदवार थे। शरद यादव को यहां की जनता ने पराजय का स्वाद दिया। करीब सवा तीन लाख यहां से जदयू के दिनेश यादव जीते थे। शरद यादव अब दुनिया में नहीं हैं। इस कारण मधेपुरा की सीट को राजद की झोली से बाहर मान कर देखा जा रहा।

    बक्सर सीट पर चुनौती

    बक्सर की सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को उम्मीदवार बनाया था। सिंह को साढ़े तीन लाख से अधिक वोट मिले। राजद के सामने भाजपा की यहां से तीसरी दफा जीत रोकने की चुनौती होगी। पार्टी की पहली पसंद इस बार भी जगदानंद सिंह हो सकते हैं, मगर बढ़ती उम्र के कारण शायद वो चुनाव लड़ने को तैयार न हो।

    ऐसे हालात में जगदानंद के विधायक पुत्र को उम्मीदवार बनाने का विकल्प ले सकती है। पाटलिपुत्र लोकसभा की सीट भी एक ऐसी ही सीट है। पाटलिपुत्र की सीट पर 2019 में लालू-राबड़ी की पुत्री मीसा भारती पार्टी की उम्मीदवार थी जिनका मुकाबला भाजपा के रामकृपाल यादव से था। मीसा भारती को रामकृपाल के मुकाबले करीब तीस हजार कम वोट मिले। मीसा भारती वर्तमान में राज्यसभा की सदस्य हैं। ऐसे में पाटलिपुत्र की सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को लेकर संशय बरकरार है। 

    बांका की सीट बनी चुनौती

    बांका हमेशा राजद की झोली भारी करने वाला क्षेत्र रहा। राजद के जयप्रकाश यादव चुनाव भी जीतते रहे हैं। पर 2019 वे जदयू के गिरधारी यादव से पराजित हो गए। इस बार राजद को इस सीट का मोह त्यागना पड़ सकता है। 

    सारण का मामला भी कुछ अलग नहीं। पिछली दफा राजद ने चंद्रिका राय को उम्मीदवारी दी थी। इस बार लालू परिवार के किसी सदस्य को उतारे जाने के कयास लग रहे हैं। बेगूसराय की सीट पर राजद पिछली दफा त्रिकोणात्मक संघर्ष में घिर गया था। उसे तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था। राजद के साथ ही सीपीआइ सिंबल पर कन्हैया भी यहां से उम्मीदवार थे। कन्हैया अब कांग्रेस में हैं। 

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