बिहार BJP के कोर ग्रुप में उठा CM नीतीश के स्वास्थ्य का मुद्दा, अमित शाह पार्टी नेताओं को समझा गए 4 बड़ी बातें
Bihar Politics चर्चा प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक की थी जो रविवार शाम भेंट-मुलाकात तक सिमट कर रह गई। 27 लोगों से विचार-विमर्श की संभावना थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मिले-जुले भी तो 20 लोगों से ही। उस थोड़े समय में भी वे बिहार भाजपा के नेताओं को बड़ी बात समझा गए। किसी जाति-जमात का विरोध किए बिना भाजपा को पूर्व निर्धारित चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ना है।
राज्य ब्यूरो, पटना। चर्चा प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक की थी, जो रविवार शाम भेंट-मुलाकात तक सिमट कर रह गई। 27 लोगों से विचार-विमर्श की संभावना थी, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मिले-जुले भी तो 20 लोगों से ही। उस थोड़े समय में भी वे बिहार भाजपा के नेताओं को बड़ी बात समझा गए।
चार बिंदुओं पर चर्चा का सार यह कि किसी जाति-जमात का विरोध किए बिना भाजपा को पूर्व निर्धारित चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ना है। बात मात्र जनहित की होगी और उसका सुफल तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) के चुनाव परिणाम की तरह बिहार में भी मिलेगा।
जनता में विरोधियों की विश्वसनीयता कम हुई है: अमित शाह
अमित शाह अपने इस भरोसे का आधार जनता के बीच विराधियों की विश्वसनीयता का कम होना और उनका आपसी मनमुटाव बता गए हैं।
शाह से मिलने वालों में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, विधान मंडल में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधान परिषद में विपक्ष के नेता हरि सहनी व विजय सिन्हा, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, मिथिलेश तिवारी सहित चारों प्रदेश महामंत्री आदि रहे। चर्चा का पहला बिंदु विपक्ष और विश्वसनीयता रहा।
उन्होंने समझाया कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में जाति आधारित गणना शोशा-मात्र बनकर रह गया। बिहार में हुई गणना में भी जनता को गड़बड़ी की आशंका है। जनता में विरोधियों की विश्वसनीयता कम हुई है। इसलिए भाजपा को परेशान होने की आवश्यकता नहीं। यह मुद्दा नहीं चलने वाला। इसके बावजूद यादव मतदाताओं से पूरी तरह से निराश नहीं होना है।
M-Y वोट पर कही ये बात
मुसलमानों का वोट भले ही भाजपा को न मिले, लेकिन यादव बिरादरी के कुछ वोट की आशा रखनी ही होगी। वोटिंग पैटर्न में यादवों को मुसलमानों के समतुल्य नहीं मानना है। यह दूसरी सीख रही। तीसरी बात यह कि जन-अपेक्षाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले की तरह खरे नहीं उतर रहे।
नेतृत्व को लेकर विपक्ष में अनबन बढ़ने की आशंका है। यह भाजपा के पक्ष में जाएगा। हालांकि, विधान मंडल में महिला और मांझी के संदर्भ में नीतीश की अप्रिय टिप्पणी को सभी ने दुर्योग मात्र माना। कभी निकटस्थ रहे भाजपा नेताओं ने भी स्पष्ट कहा कि उससे पहले नीतीश द्वारा कभी अनर्गल और आपत्तिजनक बात करने का कोई रिकॉर्ड नहीं।
अलबत्ता उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई और विधान मंडल की अप्रिय टिप्पणी भी उसी की परिणति बताई गई। चौथी बात यह कि चुनावी तैयारी पहले की तरह जारी रहेगी और अपेक्षा के अनुरूप उसमें समय-समय पर परिर्वतन होता रहेगा। केंद्रीय कार्यक्रम, लोकसभा प्रवास कार्यक्रम आदि की गति को तेज करना है।
चुनावी जीत को कायम रखने की चुनौती
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लगातार तीसरी चुनावी जीत के लिए शाह बिहार विजय को अत्यंत आवश्यक बता गए हैं। अपेक्षाकृत कठिन प्रतीत होने वाले लोकसभा क्षेत्रों में उन्होंने पार्टी नेताओं को विशेष प्रयास का निर्देश दिया है।
समझाया है कि पिछली जीत के समय नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे। जीतन राम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को साथ लेकर नीतीश की कमी की भरपाई का प्रयास है, लेकिन लोजपा के दोनों (पशुपति कुमार पारस व चिराग) धड़ों में सामंजस्य की कठिन चुनौती है।
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