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    Bihar Politics: बिहार के वो IPS अधिकारी जो इन सीटों से आजमाना चाहते हैं भाग्य, पर...

    Updated: Thu, 04 Apr 2024 08:23 PM (IST)

    Lok Sabha Elections 2024 अफसरशाही से राजनीति में प्रवेश की कहानी कोई नई नहीं है। बिहार के साथ देश में ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं। यह कहानी एक बार फिर दोहर ...और पढ़ें

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    टिकट को लेकर पार्टियों ने अब तक नहीं सुनाया है निर्णय। (सांकेतिक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News in Hindi । सियासत में अफसरशाही का प्रवेश की कहानी कोई नई बात नहीं है। बिहार के साथ पूरे देश में ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं। इस कहानी को एक बार फिर दोहराने की तैयारी है।

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    भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के तीन अधिकारी बिहार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते हैं। हालांकि, अब तक भाजपा को छोड़कर दूसरी पार्टियों का नजरिया साफ नहीं हुआ है।

    ये अधिकारी आजमाना चाहते हैं दांव

    असम कैडर के 2011 बैच के आइपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा, तमिलनाडु में अपनी सेवा दे चुके 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी बीके रवि और तमिलनाडु से ही डीजी के पद से सेवानिवृत्त होने वाले 1991 बैच के करुणा सागर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। करुणा सागर सेवानिवृत्ति के बाद राजद से जुड़े और जहानाबाद के लिए इच्छुक थे, जहां राजद ने सुरेंद्र यादव को प्रत्याशी बना दिया है।

    क्या कहते हैं करुणा सागर?

    करुणा सागर कहते हैं वे राजद में सदस्य के रूप में काम कर रहे। पुलिस में रहते हुए लोगों की सेवा करता रहा, लेकिन समाज के लिए काम करने की इच्छा हुई तो सोचा था चुनाव लडूंगा। हालांकि, निर्णय नेतृत्व को लेना है। उन्हें कोई शिकवा या शिकायत नहीं। टिकट मिला तो भी खुश, नहीं तो भी। मैं कार्यकर्ता के रूप में लोगों की सेवा करता रहूंगा।

    समस्तीपुर से लड़ना चाहते हैं बीके रवि

    बीके रवि ने कुछ माह पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और सीधे कांग्रेस से जुड़ गए। वे समस्तीपुर से लड़ना चाहते थे। कांग्रेस से यहां अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं। बीके रवि कहते हैं कि बिहार जन्मभूमि हैं। नौकरी करने बाहर चला गया। अब लौटा हूं तो अपने लोगों की सेवा करने की इच्छा है। पार्टी जो भी निर्णय करेगी, उन्हें सहर्ष स्वीकार होगा।

    यहां से लड़ना चाहते हैं हेमंत के पसंदीदा अधिकारी

    आनंद मिश्रा असम कैडर के आइपीएस अधिकारी रह चुके हैं। कुछ समय पूर्व तक वे लखीमपुर में एसपी के रूप में तैनात थे। कहा जाता है कि वे असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा के पसंदीदा अफसर थे। समाज सेवा के लिए नौकरी छोड़ी और बक्सर से चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की।

    भाजपा की नेतृत्व की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व इससे पहले ही बक्सर से मिथिलेश तिवारी का नाम तय कर चुका था। हालांकि आनंद निराश नहीं हैं। उनका मानना है कि समाज में सेवा करने के लिए पद नहीं, भाव जरूरी है।

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