Move to Jagran APP

Bihar Politics: चुनावी महासमर में एक बार फिर उतरे छात्र राजनीति के सूरमा, कांग्रेस के कन्हैया ने भी लगा रखी है आस

Bihar Political News in Hindi बिहार में छात्र राजनीति से संसद तक पहुंचने वालों नेताओं का अतीत बेहद उल्लेखनीय है। भाजपा ने रविशंकर प्रसाद और नित्यानंद राय को एक बार फिर मौका दिया है जो छात्र राजनीति से लोकसभा तक पहुंचे हैं। वहीं जदयू ने छात्र संगठन से उभरे देवेश चंद्र ठाकुर को सीतामढ़ी से चुनाव मैदान में उतारा है। देवेश चंद्र अभी बिहार विधान परिषद के सभापति हैं।

By Raman Shukla Edited By: Mohit Tripathi Published: Thu, 04 Apr 2024 06:44 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2024 06:44 PM (IST)
छात्र राजनीति से संसद तक पहुंचने वालों का दांव इस बार भी। (फाइल फोटो)

रमण शुक्ला, पटना। बिहार में छात्र राजनीति से संसद तक पहुंचने वालों नेताओं का अतीत भी कम उल्लेखनीय नहीं है। भाजपा ने रविशंकर प्रसाद, नित्यानंद राय को इस बार भी मौका दिया है, जो छात्र राजनीति से लोकसभा तक पहुंचे हैं।

loksabha election banner

वहीं, जदयू ने महाराष्ट्र में छात्र संगठन से उभरे देवेश चंद्र ठाकुर को आगे कर सीतामढ़ी में मैदान मारने का दांव चला है। ठाकुर अभी बिहार विधान परिषद के सभापति हैं।

अब भी टिकट की आस में हैं कन्हैया कुमार 

जेएनयू में वामपंथी छात्र संगठन की राजनीति से कांग्रेस में आए कन्हैया कुमार को बेगूसराय नहीं तो किसी दूसरी सीट के लिए अब भी आशा है। महागठबंधन में बेगूसराय भाकपा के खाते में चली गई है।

BJP ने अपने पुराने छात्र नेताओं पर फिर चला दांव

पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से रविशंकर प्रसाद और उजियारपुर से नित्यानंद राय दोबारा प्रत्याशी हैं। भाजपा इनके जरिये विद्यार्थी परिषद के युवाओं को भविष्य की आशा में जुटे रहने का संदेश दिया है।

नीतीश हों या लालू... छात्र राजनीति से किया संसद तक का सफर

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी आदि छात्र संगठनों से होकर ही राजनीति के आसमान में चमके हैं।

बिहार की विधायी राजनीति में उन सबका उल्लेखनीय योगदान है। यह प्रमाण है कि कालेज-विश्वविद्यालय के किताबी पाठ ही नहीं, बल्कि वहां पढ़े-पढ़ाए गए राजनीतिक ककहरा भी भविष्य में कद-पद बढ़ाने वाले होते हैं।

छात्र संघ से चमकते हुए बने राजनीति के सितारे

1970 के दशक में छात्र राजनीति में लालू प्रसाद का पहली बार प्रवेश हुआ। पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष रहते हुए वे राजनीतिक जगत की सुर्खियों में आ गए थे।

पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ से ही सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद, अश्विनी चौबे, अनिल शर्मा आदि मुख्य धारा की राजनीति में आए।

लालू यादव की अध्यक्षता वाली समिति में सुशील मोदी महासचिव और रविशंकर संयुक्त सचिव हुआ करते थे। लालू तो राजद के संस्थापक ही हैं, जबकि सुशील मोदी और रविशंकर प्रसाद राज्य-राष्ट्र में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।

1977 में पटना विश्वविद्यालय में पहली बार विद्यार्थी परिषद को जीत दिलाकर अश्विनी चौबे अध्यक्ष बने थे। प्रदेश की सरकार से होते हुए केंद्र सरकार तक पहुंचे। गैर-राजनीतिक संगठन के बूते 1980 में अध्यक्ष बन अनिल कुमार शर्मा ने एक नया ही इतिहास रचा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से होते हुए वे अब भाजपा का झंडा उठा लिए हैं।

नीतीश का मॉडल सबसे अलग

छात्र संघ में लालू की टीम में रहे बाल मुकुंद शर्मा अभी राजनारायण चेतना मंच के अध्यक्ष हैं। वे नीतीश कुमार की राजनीतिक शैली को सबसे अलग मानते हैं।

वह कहते हैं कि राजनीति में अच्छे लोग नहीं आएंगे तो बुरे लोग हावी हो जाएंगे। ऐसे में राजकाज और समाज पर बुरा असर पड़ेगा। 1974 के आंदोलन के दौरान नीतीश की राजनीतिक शुचिता आज भी अनुकरणीय है।

अब स्टार प्रचारक की भूमिका

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद,अश्विनी चौबे आदि अपने-अपने दल के स्टार प्रचारक हैं। हालांकि, स्वास्थ्य कारणों से सुशील मोदी ने स्टार प्रचारक के रूप में भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में असमर्थता जताई है।

यह भी पढ़ें: Patna High Court का निगरानी ब्यूरो को निर्देश, इन शिक्षकों के सर्टिफिकेट प्रकरण में जारी रहेगी जांच

किसी की पत्नी धनवान तो किसी के पति... बीमा भारती के पास कितनी है संपत्ति? कांग्रेस के ये उम्मीदवार सबसे अमीर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.