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    भारतीय रेल ने कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, नई नीति से पेंशनभोगी के साथ आश्रितों को भी लाभ

    By Jagran NewsEdited By: Akshay Pandey
    Updated: Thu, 03 Jul 2025 01:03 PM (IST)

    रेल कर्मचारियों आश्रितों व पेंशनभोगी कैंसर पीड़ितों का इलाज टाटा मेमोरियल सेंटर एम्स पीजीआइ एनआइएमएचएएनएस सरकारी अस्पतालों और रेलवे के सूचीबद्ध अस्पतालों में आसानी से हो सकेगा। कैंसर मरीजों को उपचार में परेशानी न हो इसके लिए रेफरल प्रक्रिया को सरल किया गया है। सभी कैंसर मामलों में रेफरल के लिए एक रेलवे चिकित्सक को नोडल प्राधिकारी के रूप में नामित किया जाएगा।

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    शीर्ष संस्थानों में इलाज करा सकेंगे कैंसर पीड़ित रेलकर्मी

    जागरण संवाददाता, पटना। कैंसर पीड़ित कर्मियों के लिए भारतीय रेल ने बड़ी राहत दी है। नई नीति के तहत रेल कर्मचारियों, आश्रितों व पेंशनभोगी कैंसर पीड़ितों का इलाज टाटा मेमोरियल सेंटर, एम्स, पीजीआइ, एनआइएमएचएएनएस, सरकारी अस्पतालों और रेलवे के सूचीबद्ध अस्पतालों में आसानी से हो सकेगा। यूनिक मेडिकल आइडेंटिफिकेशन कार्ड का उपयोग कर इन सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

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    पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ सरस्वती चन्द्र ने बताया कि कैंसर मरीजों को उपचार में परेशानी न हो इसके लिए रेफरल प्रक्रिया को सरल किया गया है। सभी कैंसर मामलों में रेफरल के लिए एक रेलवे चिकित्सक को नोडल प्राधिकारी के रूप में नामित किया जाएगा।

    सेवारत रेलवे कर्मचारी और उनके आश्रित एवं पेंशनभोगी यूएमआइडी कार्ड लाएंगे। उनकी पात्रता रेफरल यूएमआइडी में इंगित की जाएगी। फालोअप उपचार के लिए दोबारा रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। रोगी अपनी यूएमआइडी कार्ड से टाटा मेमोरियल अस्पताल, राष्ट्रीय महत्व के चिकित्सा संस्थानों/सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत अस्पतालों रेलवे से सूचीबद्ध चिकित्सा संस्थानों में सीधे इलाज के लिए जा सकते हैं।

    90 दिनों के कैंसर रेफरल की होगी वैधता

    रेलवे चिकित्सक द्वारा कैंसर रेफरल की वैधता 90 दिनों की होगी। इस दौरान रोगी जिस चिकित्सक से दिखा रहे होंगे उनके अलावा दो अन्य विशेषज्ञों से भी परामर्श ले सकेंगे। यदि प्राथमिक विशेषज्ञ द्वारा सिफारिश की जाती है तो इसे तीन महीने की अवधि के दौरान अधिकतम छह परामर्श तक की अनुमति दी जा सकती है। पीड़ित निर्धारित मानदंडों को पूरा कर इलाज करा सकते हैं।

    टाटा मेमोरियल सेंटर अस्पताल में प्रिवेंटिव आंकोलाजी शाखा या ओपीडी में प्रारंभिक जांच के लिए कोई रेफरल या अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

    इलाज के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति टीएमसीएच के साथ भारतीय रेल के समझौता ज्ञापन में निर्धारित दरों के अनुसार या वास्तविक दर, जो भी कम होगी और इसमें ओपीडी में पंजीकरण, परामर्श, प्रारंभिक टेस्ट/दवाइयों आदि की लागत शामिल होगी।

    रेलवे चिकित्सक द्वारा रेफर की स्थित में इन हाउस उपचार, जांच, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी आदि शामिल हैं। आपरेशन के बाद भी निर्धारित दवाइयां एवं अन्य देखभाल दवाएं टीएमसीएच द्वारा प्रदान की जाएंगी। टीएमसीएच द्वारा दवाएं प्रदान नहीं किए जाने की स्थिति में यूएमआइडी कार्ड से संबंधित रेलवे चिकित्सालय या हेल्थ यूनिट दवा प्रदान करेगा।

    एम्स, पीजीआई/चंडीगढ़, पीजीआई पुडुचेरी और निमहंस बेंगलुरु एवं सरकारी अस्पतालों में भी इलाज के लिए प्रोटोकाल जारी किया गया है। यहां कैंसर के उपचार के लिए ओपीडी आदि के लिए रेफरल/अनुमति की आवश्यकता नहीं है।