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    IAS Sanjeev Hans: मैनेज होता था सरकारी टेंडर, आईएएस संजीव हंस समेत 6 के खिलाफ SUV ने दर्ज किया केस

    Updated: Fri, 02 May 2025 07:53 PM (IST)

    बिहार में सरकारी विभागों के टेंडर में आठ से दस प्रतिशत कमीशन का खेल सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के बाद आईएएस संजीव हंस और रिशुश्री समेत छह लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। रिशुश्री सरकारी अफसरों के साथ मिलकर टेंडर मैनेज करता था जिसमें उसे मोटा कमीशन मिलता था। विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) मामले की जाँच कर रही है।

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    आईएएस संजीव हंस समेत 6 के खिलाफ SUV ने दर्ज किया केस (फोटो क्रेडिट: X/@sanjeev_hans97)

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विभागों में आठ से 10 प्रतिशत कमीशन पर टेंडर मैनेज का खेल हो रहा था। इस खेल की अहम कड़ी रिशुश्री था। रिशश्री सरकारी अफसरों की मिली भगत से यह रैकेट चला रहा था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में यह खेल पकड़ा गया है। जिसके बाद ईडी की अनुशंसा पर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने चार नामजद समेत छह पर प्राथमिकी दर्ज की है।

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    इस प्राथमिकी में आईएएस अधिकारी संजीव हंस का भी नाम है। हंस के अलावा रिलायबल इंफ्रा सर्विस प्रा. लि. के रिशुश्री, कंपनी के कर्मी संतोष कुमार, मैत्रिस्वा इंफ्रा प्रा. लि. के निदेशक पवन कुमार, अन्य सरकारी पदाधिकारी व अज्ञात को शामिल किया गया है।

    ईडी ने दी थी टेंडर में चल रहे खेल की जानकारी

    प्रवर्तन निदेशालय पटना संयुक्त निदेशक सत्यकाम दत्ता ने विशेष निगरानी को सरकारी टेंडर के मैनेज होने की जानकारी मुहैया कराई थी। ईडी के अनुसार, रिशुश्री संजीव हंस की मदद से सरकारी टेंडर के मैनेज कर रहा था। जिस विभाग का टेंडर निकाला जाता था रिशुश्री उस विभाग के अधिकारियों और कर्मियों की मदद से पहले ही उससे जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल कर लेता था।

    इसके बाद उस जानकारी के आधार पर वह खुद अपनी कंपनी या अपने नेटवर्क से जुड़ी कंपनी को वह टेंडर दिलवा देता था। इस काम में बड़ी अधिकारी उसकी मदद करते थे।

    आठ से दस प्रतिशत के कमीशन पर होता था खेल

    सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टेंडर के इस खेल में रिशुश्री को आठ से दस प्रतिशत का कमीशन मिल रहा था। जिसका बड़ा हिस्सा संबंधित विभाग के सीनियर अधिकारियों को जा रहा था।

    ईडी की रिपोर्ट में आरोप लगाए गए हैं कि पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी दिखाने के लिए, रिशुश्री अपनी संस्थाओं को निविदा प्रदान की गई संस्थाओं के लिए उपठेकेदार के रूप में नियुक्त करता था और उन्हें समय-समय पर बढ़ा-चढ़ाकर बिल देता है, ताकि कमीशन और रिश्वत का पैसा नियमित व्यापारिक लेन-देन में मिल जाए।

    दस पन्नों की रिपोर्ट पर महाधिवक्ता से मांगी थी राय

    ईडी की करीब दस पन्नों की रिपोर्ट मिलने के बाद विशेष निगरानी इकाई ने हंस व रिशुश्री समेत अन्य पर केस दर्ज करने के पूर्व महाधिवक्ता और गृह विभाग से राय मांगी थी।

    महाधिवक्ता और गृह विभाग की अनुशंसा के बाद विशेष निगरानी इकाई ने संजीव हंस, रिशुश्र श्री समेत रिशुश्री की कंपनियों के कर्मी, निदेशक, अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। केस दर्ज करने के बाद मामले की जांच विशेष निगरानी के डीएसपी राजेश रंजन को सौंपी गई है।

    इन धाराओं में हुआ केस

    पीसी एक्ट 1988, आफिशियल सीकेट्र एक्ट, अधिनियम बीएनएस 2023, धाराएं 7ए, डब्लू 8,9, आरडब्लू 10 व 12, आरडब्यू 3 (2) आरडब्लू 6(2) आरडब्लू 15, निविदा में लोक सेवक एवं अन्य द्वारा भ्रष्टाचार

    ईडी की रिपोर्ट में कई अन्य विभाग के वरीय अफसर निशाने पर

    • आइएएस संजीव हंस, रिशुश्री के अलावा अन्य कई विभागों के अधिकारी भी अब जांच एजेंसी के निशाने पर हैं। ईडी की रिपोर्ट की माने तो टेंडर का खेल कई सरकारी महकमों में चल रहा था।
    • इन विभागों में जल संसाधन विभाग, उर्जा विभाग, भवन निर्माण विभाग और नगर विकास विभाग समेत कई अन्य विभाग शामिल हैं।
    • सूत्रों की माने तो इन विभागों के अधिकारियों के खिलाफ भी आने वाले समय में कार्रवाई संभव है। इसके पहले जांच एजेंसी साक्ष्य जुटाने में लगी है।

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