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    कई मायनों में खास रही बिहार में आज बनाई गई मानव श्रृंखला, जानिए

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Sat, 21 Jan 2017 10:16 PM (IST)

    शराबबंदी के लिए अलग जगाती बिहार में आज बनाई गई मानव श्रृंखला अद्भुत रही। पूरे राज्य में इसे लेकर उत्साह का माहौल दिखा। य‍ह कई मायनों में खास रही। ...और पढ़ें

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    कई मायनों में खास रही बिहार में आज बनाई गई मानव श्रृंखला, जानिए

    पटना [स्टेट ब्यूरो]। शराबबंदी के समर्थन में आज बनाई गई मानव श्रृंखला कई मायनों में खास रही। यह विश्व की सबसे लंबी मानव श्रृंखला थी, जिसे गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिलेगी। इसमें करीब 2.11 करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है।

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    इसके पूर्व बांग्लादेश में बनने वाली मानव श्रृंखला में 50 लाख लोगों ने भागीदारी की थी, जबकि पश्चिम बंगाल के नदिया में बनी मानव श्रृंखला में 2.17 लाख लोग शामिल हुए थे। आइए डालते हैं आज की मानव श्रृंखला की खास बातों पर एक नजर।

    सबसे लंबी मानव श्रृंखला

    शराबबंदी के पक्ष में बिहार में सबसे लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई। इसके पूर्व बांग्लादेश में अवामी लीग ने सरकार के खिलाफ वर्ष 2004 में मानव श्रृंखला बनाई थी, जिसकी कुल लंबाई 1050 किमी थी। 2015 में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में खुले में शौच के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाई, जिसकी कुल लंबाई 122.3 किमी थी। 11 से लेकर 11.15 बजे तक के बीच बनी इस मानव श्रृंखला को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह दी गई है।

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    गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड मिलेगी जगह

    बिहार सरकार ने मानव श्रृंखला को गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए प्रस्ताव देने का फैसला किया है। राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह कहते हैं कि मद्य निषेध अभियान की सफलता के लिए बनाई गई जा रही 11292 किमी की लंबी यह मानव श्रृंखला विश्व की सबसे लंबी मानव श्रृंखला है, इसे गिनिज बुक में जरूर दर्ज किया जाएगा।

    भागीदारी का रिकॉर्ड बनेगा

    मानव श्रृंखला में करीब 2.11 करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है। हालांकि, अभी आधिकारिक आंकड़ा नहीं मिल सका है। आंकड़ा आने पर यह संख्या बढ़ भी सकती है। इसके पूर्व बांग्लादेश में बनने वाली मानव श्रृंखला में 50 लाख लोगों ने भागीदारी की जबकि पश्चिम बंगाल के नदिया में बनी मानव श्रृंखला में 2.17 लाख लोग शामिल हुए थे।

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    सीमा तक पहुंची कतार

    मानव श्रृंखला नेपाल की अंतररराष्ट्रीय सीमा के साथ-साथ देश के तीन दूसरे राज्यों की सीमा तक है। गोपालगंज के बथनाकुटी में श्रृंखला उत्तर प्रदेश बॉर्डर को छू रही थी। दूसरी ओर अररिया के ठाकुरगंज में नेपाल की सीमा को। पूर्णिया के डालकोला में मानव श्रृंखला बंगाल के बॉर्डर तक है। उधर, बांका जिले के कटोरिया में यह श्रृंखला झारखंड बॉर्डर तक रही।

    ISRO के सेटेलाइट से फोटोग्राफी पहली बार

    मानव श्रृंखला की फोटोग्राफी पांच सेटेलाइट के माध्यम से की गई। इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन पहली बार ऐसी फोटोग्राफी से जुड़ा। इनमें एक भारतीय, जबकि शेष अंतरराष्ट्रीय सेटेलाइट थे।

    38 ड्रोन कर रहे निगरानी

    मानव श्रृंखला की तमाम गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रत्येक जिले को एक-एक ड्रोन मुहैया कराए गए। ड्रोन लोगों पर निगाह तो रखे रहे। उन्होंने मानव श्रृंखला की फोटोग्राफी भी की।

    आसमान से वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी

    मानव श्रृंखला की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए हेलिकॉप्टर और छोटे प्लेन की भी मदद ली गई। तय योजना के मुताबिक आसमान से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए तीन छोटे प्लेन और इतने ही हेलिकॉप्टर बिहार के आसमान में उड़ते रहे।

    हर जिले एक नोडल अधिकारी

    मानव श्रृंखला के दौरान किसी विषय को लेकर संशय न रहे इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्रत्येक जिले में विभाग के एक-एक अधिकारी को नोडल अफसर बनाकर तैनात किया है। यह सभी अफसर 16 जनवरी से जिलों में कैंप कर रहे हैं। वे 22 जनवरी तक कैंप करेंगे।