Health News: बच्चों को वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम, खांसी और दस्त से कैसे बचाएं? विशेषज्ञ से जानें जरूरी टिप्स
बच्चों में होने वाले वायरल बुखार सर्दी-जुकाम खांसी और दस्त की समस्या आम है। इन बीमारियों से अपने बच्चों को कैसे बचाएं इस पर विशेषज्ञ डॉ. पूजा मिश्रा ने दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डॉक्टर में पाठकों के सवालों के जवाब दिए। जानिए बच्चों को एंटीबायोटिक कब और कैसे देनी चाहिए साथ ही उनके खान-पान और देखभाल के बारे में भी जरूरी सलाह।
जागरण संवाददाता, पटना। तापमान में अचानक तेजी से उतार-चढ़ाव होने पर वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम व खांसी तो वर्षा व गर्मी में वायरल-बैक्टीरियल दस्त सामान्य रोग हैं। ऐसे में बच्चों को न तो खुद से न ही तुरंत डॉक्टरों को एंटीबायोटिक दवाएं देनी चाहिए।
आइजीआइएमएस में सीनियर रेजिडेंसी के दौरान बहुत से ऐसे बच्चे आए, जिनमें कई एंटीबायोटिक के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी थी। फ्लू या वायरल हो तो खुद से पैरासिटामोल भी न दें। बुखार का चार्ट बनाकर डॉक्टर के पास जाएं, ताकि वे सही डोज में इसे प्रिस्क्राइब कर सकें।
कम खुराक होने पर बुखार नहीं उतरता तो अभिभावकों के दबाव में डाक्टर आइब्यूजेसिक या मेफ्टाल के साथ पैरासिटामोल का कांबिनेशन देते हैं, जो सही नहीं है।
इसी प्रकार यदि तेज बुखार, म्यूकस या खून के साथ दस्त हों तभी एंटीबायोटिक दी जानी चाहिए। अन्यथा जिंक, ओआरएस व प्रोबायोटिक से ही 90 प्रतिशत बच्चे दो से तीन दिन में स्वस्थ हो जाते हैं।
ये बातें रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल के शिशु आइसीयू की विशेषज्ञ डा. पूजा मिश्रा ने पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं।
दो वर्ष के बच्चे को बार-बार सर्दी हो जाती है : अर्चना
छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में अचानक ठंडा-गर्म होने से वे फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में खासकर रात में उन्हें मोटे सूती कपड़े व मोजे पहनाकर रखना चाहिए।
बच्चा छह माह से अधिक का है तो दाल का पानी, सब्जी का सूप, फलों का जूस आदि दें। यदि बच्चा कैंसर, नेफ्रोटिक सिंड्रोम या टीबी जैसे रोगों से ग्रसित हो तो छह माह से पांच वर्ष तक उन्हें फ्लू की वैक्सीन की सुरक्षा दें।
बच्चे को बार-बार बुखार साथ में जी मिचलाता है, खाना नहीं खाता: मुकेश मिश्रा
स्कूल आदि में बच्चे एक-दूसरे से वायरल की चपेट में आते हैं। ऐसे में उन्हें खांसते-छींकते समय मुंह-नाक ढंकने का तरीका सिखाएं। भीड़भाड़ वाली जगहों में ले जाने से बचें। खाने में एंटीआक्सीडेंट प्रचुरता वाले फलों की मात्रा बढ़ाएं।
बुखार का चार्ट बनाकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। बच्चे बाहर का खाते हैं, घर का नहीं तो उसी प्लेट की सुंदरता, रोटी में डिजायन बनाकर दें, बाहर का न दें क्योंकि उसकी कम मात्रा ही बच्चों का पेट भर देती है। हर तीन से छह माह में कीड़े की दवा दें।
छह माह के बच्चे को बार-बार सर्दी-खांसी होती है: आशुतोष कुमार
मौसम में बदलाव के समय बच्चे को ढंक कर रखें। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए लगातार विटामिन डी का ड्राप दें।
मां के दूध के साथ दाल का पानी, फलों को जूस, मांड व अन्य तरल पदार्थ दें। मल्टी विटामिन की जरूरत नहीं है।
नेजल ड्राप तभी डालें जब बच्चा नाक बंद होने के कारण ठीक से दूध न पी पाए या सो नहीं पाए। हल्की-फुल्की सर्दी में इसका प्रयोग नहीं करें।
बच्ची के पेट में दर्द, पीठ में निकल रहे दाने: निशू
पेट में कीड़े, पेट दर्द, बाहर का थोड़ा भी खाना खाने से दर्द हो सकता है। इसके लिए बच्ची को खाने के पहले व शौच के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत डलवाएं, फल या सब्जियों का सेवन अच्छे से धोकर करें व घर का गर्म खाना ही खिलाएं।
गर्मी में पीठ में दाने जो शरीर में नहीं फैल रहे वे घमौरियां हैं, जो अधिक पसीने के कारण होती है। शरीर को खुला रखें, कपड़े सूती व हल्के पहनाएं, कोई मुलायम पाउडर लगाएं लेकिन वहां तेल नहीं लगाएं। यदि बच्चे को रैसेज हो रहे हैं तो वहां पाउडर का प्रयोग नहीं करें।
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