Nails Health Tips: नाखूनों में छिपे हैं कैंसर तक के संकेत, ऐसे करें रोगों की पहचान
नाखूनों में दिखने वाले बदलाव कई गंभीर बीमारियों, यहां तक कि कैंसर का भी संकेत हो सकते हैं। पटना में आयोजित ओनिकोकान-2025 राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज् ...और पढ़ें

बीमारियों का संकेत देते हैं नाखून। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पटना। नाखून केवल सुंदरता का हिस्सा नहीं, बल्कि कई गंभीर रोगों के शुरुआती संकेत भी देते हैं। नाखूनों में दिखने वाला रंग परिवर्तन, काली रेखाएं, मोटापन या बार-बार संक्रमण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का संकेत हो सकता है।
नाखून शरीर का ऐसा हिस्सा है, जो सबसे पहले अंदरूनी बीमारियों का संकेत देता है, लेकिन आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। गलत इलाज और देरी से रोग गंभीर रूप ले लेता है। यह चेतावनी प्रदेश में पहली बार नाखून स्वास्थ्य (नेल हेल्थ) पर हो रहे राष्ट्रीय सम्मेलन ओनिकोकान-2025 में देश के प्रख्यात विशेषज्ञों ने दी।
नेल सोसायटी ऑफ इंडिया (एनएसआइ) द्वारा आयोजित इस 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के त्वचा व नेल विशेषज्ञों ने नाखून संबंधी रोगों के विज्ञान, पहचान और उपचार के महत्व पर चर्चा की। नेल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. एस सच्चिदानंद व मानद सचिव डॉ. सुजाला ने एम्स पटना, पीएमसीएच, एनएमसीएच व आइएडीवीएल बिहार की टीम के सहयोग की सराहना की।
उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजन सचिव डॉ. अभिषेक कुमार झा, आयोजन समिति के मुख्य संरक्षक डॉ. एमके सिन्हा, डॉ. विकास शंकर, डॉ. स्वेतलिना प्रधान, डॉ. श्रीपर्णा देब आदि की प्रशंसा की।
डर्मेटोलॉजिस्ट ही नाखून रोगों के असली विशेषज्ञ
विशेषज्ञों ने कहा कि नाखूनों की बीमारियों के लिए त्वचा रोग विशेषज्ञ ही सही डाक्टर होते हैं। डर्मेटोलाजिस्ट को नाखून से जुड़े रोगों की मेडिकल व सर्जिकल दोनों तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें बायोप्सी, ट्यूमर व संक्रमण का इलाज शामिल है।
डॉ. अर्चना सिंघल, डॉ. चंदन ग्रोवर, डॉ. सुशील महिलियानी, डॉ. वीनीत रेहलान, डॉ. शिखा बंसल जैसे राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने एम्स पटना में हुई कार्यशाला व एक होटल में आयोजित वैज्ञानिक सत्र, लाइव डेमो व हैंड्स-आन वर्कशाप के द्वारा नाखून रोगों के आधुनिक इलाज की जानकारी दी।
घर पर बरती जाने वालीं सावधानियां
-गंदे या नुकीले उपकरणों से नाखून नहीं काटें या कटवाएं।
-ज्यादा समय तक नेल पालिश, ऐक्रेलिक नेल्स का प्रयोग नहीं करें।
-मधुमेह, उम्रदराज़ लोग नाखून की समस्याओं को हल्के में नहीं लें।
-किसी भी संदेह पर स्वयं दवा नहीं लें, बल्कि चर्म रोग विशेषज्ञ से मिलें।
| रोग | नाखूनों में दिखने वाले लक्षण |
|---|---|
| फंगल इंफेक्शन | पीले, मोटे व टूटने वाले नाखून |
| सोरायसिस | गड्ढेदार सतह, मोटापन, लालिमा |
| बैक्टीरियल इंफेक्शन (पैरोनाइशिया) | दर्द, सूजन, मवाद |
| ट्रामा (चोट से विकृति) | काला पड़ना, टूटना |
| विटामिन-मिनरल की कमी | कमजोर, टूटने वाले नाखून |
| थायराइड, एनीमिया या लिवर रोग | नाखून का रंग व आकार बदलना |
| मेलानोमा (नेल ट्यूमर) | कैंसर का जोखिम |
| गंभीर संकेत | |
| काली रेखा, फैलता धब्बा, खून या दर्द – तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें | |
कब तुरंत चर्म रोग विशेषज्ञ से मिलें
-काली या गहरी एकल रेखा या धब्बा बढ़ रहा हो।
-नाखून में तेज़ दर्द, सूजन या मवाद
-अचानक नाखून का गिरना या अलग होना।
-डायबिटीज, बुजुर्ग या इम्यून कमजोर रोगी में नाखून रोग
-घरेलू दवा-क्रीम से लाभ नहीं हो रहा हो
चोट के बाद ठीक न हो रहा नाखून
रोग का खतरा कम करने के उपाय
-नाखून सूखे और साफ रखें, तंग जूते नहीं पहनें
-नेल-कटिंग के लिए स्टीरल, साफ उपकरण का प्रयोग करें।
-सार्वजनिक सैलून में हाइजीन सुनिश्चित करें
-बार-बार नेल-पालिश, नेल-एक्सटेंशन से बचें
-हाथ-पैर देर तक गीले नहीं रखें
-चोट लगने पर नाखून पर दबाव नहीं डालें।

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