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    हट सकता है आंखों से चश्मा, ये दवा लेने के बाद 50 मरीजों को नहीं रही ऐनक की जरूरत

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 20 Dec 2021 10:22 PM (IST)

    आइजीआइएमएस स्थित क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में 50 से अधिक किशोर-युवा पहुंच चुके हैं जिन्हें 2.5 पावर तक के चश्मे लगे। हालांकि ऐसे लोगों के लिए खुशखबरी है एक ड्राप और स्क्रीन छोड़ कर खुले आसमान के नीचे कुछ घंटे बिताने से उनका चश्मा हट सकता है।

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    आंखों पर चश्मा लगाने वालों के लिए अच्छी खबर है। सांकेतिक तस्वीर।

    पवन कुमार मिश्र, पटना। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों के घरों में बंद होने का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव आंखों पर पड़ा है। वहीं मोबाइल, लैपटाप और कम्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण किशोर और युवा अधिक प्रभावित हुए। पहले लाकडाउन के एक वर्ष बाद से अबतक आइजीआइएमएस स्थित क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में 50 से अधिक किशोर-युवा पहुंच चुके हैं, जिन्हें 2.5 पावर तक के चश्मे लगे। हालांकि, ऐसे लोगों के लिए खुशखबरी है, एक ड्राप और स्क्रीन छोड़ कर खुले आसमान के नीचे कुछ घंटे बिताने से उनका चश्मा हट सकता है। आइजीआइएमएस में ऐसे 50 बच्चे अब पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। यह जानकारी क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के चीफ डा. विभूति प्रसन्न ने दी। उन्होंने कहा कि लो डोज एट्रोपिन चलाकर देखने की क्षमता को स्थिर रखा जाता है तो दूसरी ओर स्क्रीन से दूरी व खुले में दूर की चीजें देखने से ऐसे बच्चों का चश्मा हट रहा है। 

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    स्क्रीन पर अधिक समय गुजारने से क्यों लगा चश्मा

    डा. विभूति के अनुसार हमारी आंखें कैमरे की तरह काम करती हैं। जिस प्रकार तस्वीर के लिए कैमरे के अपरचर को सेट करना पड़ता है, उसी प्रकार हमारी आंखों की पुतली का प्यूपिल पास व दूर की चीज देखने के लिए सिकुड़ता व फैलता रहता है। लगातार आंखों पर जोर पड़ने से पहले धुंधला दिखना शुरू होता है और ध्यान नहीं देने पर अचानक डाक्टर के पास जाने पर उच्च पावर का चश्मा लग जाता है। 

    स्क्रीन से दूरी व खुले में रहने से ऐसे होता आराम 

    डा. विभूति के अनुसार स्क्रीन समय को कम करने के साथ ऐसे बच्चों को खुले आसमान के नीचे संभव हो तो हरी-भरी चीजें देखने को कहा जाता है। दूर की चीजें देखने के दौरान प्यूपिल आराम की अवस्था में आ जाती है और हरी-भरी चीजें सुकून देती हैं। इससे आंखों की क्षमता 15 दिन से एक माह में दोबारा लौटने लगती है। 12 से 25 वर्ष तक के बच्चों में यह उपचार पूरी तरह सफल रहा है। 

    काम के समय ये सावधानियां जरूरी 

    • - मोबाइल पर लंबे समय तक काम न करें, इसके बजाय लैपटाप, कम्प्यूटर या टैबलेट का इस्तेमाल करें। 
    • - कम्प्यूटर स्क्रीन को आंख के स्तर से नीचे रखें, ऊंचाई पर रखने से ज्यादा दबाव पड़ता है। 
    • - हर पांच सेकेंड में पलकों को झपकाते रहें, लगातार एकटक स्क्रीन न देखें
    • - आंखों को आराम देने के लिए आधे से एक घंटे के अंतराल पर आंखों में पानी के छींटे मारें 
    • - आंखों में लगातार माश्चराइजर ड्राप डालना भी नुकसानदेह होता है
    • - स्क्रीन में कंफर्ट आई या ब्लू ब्लाकर आन कर रखें ताकि तेज रोशनी का नुकसान कम हो। 
    • - आंखों में खुजली या दर्द होने पर उन्हें रगड़ें नहीं इससे संक्रमण बढ़ सकता है।