Success Story: कभी झोपड़ी में पली-बढ़ी; अब 5 स्टार होटल में करेगी काम, मधु कुमारी ने ऐसे लिखी बदलाव की कहानी
बिहार की राजधानी पटना से कामयाबी की एक दास्तान लिखने वाली झोपड़पट्टी में पली-बढ़ी मधु कुमारी की कहानी सामने आई है। मधु ने अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेह ...और पढ़ें

सैयद नकी इमाम, फुलवारी शरीफ। एक ओर झोपड़पट्टी, दूसरी ओर सितारों के मानक से जड़े होटल। दोनों के बीच एक बहुत बड़ी दूरी, पर झोपड़पट्टी की एक लड़की के सपनों ने जैसे उसे पाट दिया हो। यह कहानी है मधु की। एक चेहरा, दो तस्वीर।
एक वह, जहां मलिन चेहरा झोपड़पट्टी का प्रमाण देता हुआ। दूसरा वह जिसमें चेहरे की कांति बदले हुए व्यक्तित्व की गवाही स्वयं दे रही हो।
मधु उस परिवेश से हैं, जिसे मुसहर समाज कहते हैं। मांझी, भुइयां सभी इसी समाज के हैं। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी भी इसी से आते हैं।
बदलाव की बड़ी कहानी
यह समाज आज भी हाशिए पर है, जहां साक्षरता दर मुश्किल से नौ प्रतिशत के करीब। महिला साक्षरता का यह हाल कि स्नातक तो बहुत दूर, मैट्रिक उत्तीर्ण लड़कियां भी ढूंढे़ ही मिलेंगी। उसी समाज की मधु ने स्टार होटल तक की यात्रा में बदलाव की एक बड़ी कहानी लिख डाली।
पीढ़ियां बदल रही हैं। यहां सपने हैं, उत्साह है, संघर्ष और लक्ष्य को छू लेने का हौसला। घर का पता पटना जिले के परसा थाना की गंजपर झोपड़पट्टी। वैसे, पैतृक घर अलाउद्दीन चक, पुनपुन है, पर सभी भाई-बहनों का जन्म पटश्ना की झोपड़पट्टी में ही हुआ।
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मधु कुमारी।
10 भाई-बहनों में एक मधु
- दस भाई-बहनें हैं, जिनमें मधु नौवें नंबर पर। पिता मुंशी मांझी का तब देहांत हो गया, जब मधु दस वर्ष की थीं।
- मां आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका हैं। परिवार का भोजन-पानी बड़ी मुश्किल से चल पा रहा था, पर मां शिक्षा के महत्व को समझती है।
- खेतों में कटाई हो या दिहाड़ी मजदूरी, यह सब कर अतिरिक्त पैसे की व्यवस्था करती रहीं, ताकि वे पढ़ सकें।
- मधु ने मुश्किलों के बीच स्थानीय पलंगा हाईस्कूल से 10वीं और 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। उनकी इच्छा कारपोरेट सेक्टर में जाने की थी।
- होटल मैनेजमेंट का सपना देखा। नोएडा स्थित कालेज से होटल प्रबंधन में स्नातक किया। उनके भाई शेट्ठी मांझी बताते हैं कि मजदूरी करते हैं। मां और भाई ने पैसे इकट्ठे किए, मधु ने भी काम किया और पढ़ती गई।
होटल हयात में ले रही प्रशिक्षण
जयपुर में इंटर्नशिप मिली, इसके बाद अभी बोधगया स्थित होटल हयात में आन जाब प्रशिक्षण पर हैं। झोपड़पट्टी से निकल कारपोरेट संस्कृति में ढल चुकीं मधु अपने जैसों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी पांच बहनों ने भी मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई की है।
यह एक परिवार की एक पीढ़ी के बदलाव की कहानी है, जो वंचित समाज में आता है। मधु कहती हैं, बड़े होटलों को देखती थी। मन में एक सपना पला कि मैं यहां काम कर सकूं। परिवार की स्थिति पता थी, पर पूरा सहयोग मिला।
एक-एक पैसे की कीमत पता थी, इसलिए सोते-जागते लक्ष्य तक पहुंचने का उत्साह था। इसी ने यहां तक पहुंचाया। आर्थिक परिवेश महत्वपूर्ण तो है, पर ऐसा भी नहीं कि गरीबी बाधा ही बन जाए।
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