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    सावधान! बिहार में शुरू हुई वॉयस क्लोनिंग के जरिए ठगी, शातिरों ने पूर्व DGP के बॉडीगार्ड को बनाया पहला निशाना

    By Prashant KumarEdited By: Mukul Kumar
    Updated: Sat, 02 Sep 2023 12:36 PM (IST)

    बिहार की राजधानी पटना में वॉयस क्लोनिंग के जरिए ठगी का पहला मामला सामने आया है। ठगों ने इसका पहला शिकार पूर्व डीजीपी के बॉडीगार्ड को बनाया है। जलसाजों ने सिपाही से आवाज बदलकर करीब 65 हजार रुपये अपने खाते में डलवा लिए हैं। इस मामले में शिकायत दर्ज कर ली गई है। अब पुलिस जालसाजों की तलाश में जुटी है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। फोटो- जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना : बिहार की राजधानी पटना में वॉयस क्लोनिंग के माध्यम से साइबर ठगी करने का पहला मामला आया है। इसमें शातिरों ने पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीलमणि के बॉडीगार्ड अखिलेश कुमार को ही अपना शिकार बना लिया।

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    एक पहचान वाले बिल्डर की आवाज सुनकर सिपाही ने जालसाज के खाते में 65 हजार रुपये डाल दिए। अगले दिन उनसे दोबारा 20 हजार रुपये की मांग की गई। तब उन्होंने बिल्डर से संपर्क किया और सच्चाई का पता चला।

    यूपीआई के जरिए हुआ ट्रांजेक्शन

    अखिलेश ने इस बाबत बुद्धा कालोनी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। थानेदार निहार भूषण ने बताया कि यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन हुआ है। आरोपित के बैंक खाते का पता लगाया जा रहा है। गया जिले के टनकुप्पा के रहने वाले अखिलेश कुमार पटना पुलिस केंद्र में सेवारत हैं।

    वर्तमान में उनकी प्रतिनियुक्ति पूर्व डीजीपी के बॉडीगार्ड के रूप में है। 29 अगस्त को उन्हें मोबाइल पर कॉल आया। सामने वाले ने अपनी पहचान बिल्डर संजू शर्मा के रूप में दी। उसने आपात स्थिति का हवाला देते हुए 65 हजार रुपये खाते में डालने की बात कही।

    जालसाज की आवाज संजू से मिल रही थी, जिसके बाद उसने स्कैनर का स्क्रीनशाट भेजा। उस पर सिपाही ने पांच बार में 65 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। बुधवार को सिपाही से दोबारा कॉल कर 20 हजार रुपये मांगे गए। तब उन्होंने संजू के मोबाइल पर संपर्क किया। इसके बाद उन्हें ठगी की जानकारी हुई।

    क्या है वॉयस क्लोनिंग

    वॉयस क्लोनिंग को वायर मिमिक्री भी कहा जाता है। इसमें जालसाज किसी व्यक्ति के मोबाइल के कांटैक्ट लिस्ट में रहे लोगों के नंबरों पर कॉल कर उसी की आवाज में बातें करते हैं। आपात स्थिति बता रुपये ठगते हैं।

    दरअसल, जब कोई व्यक्ति गूगल सर्च इंजन अथवा किसी अन्य आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस पर कोई चीज ढूंढ़ने के लिए टाइपिंग की जगह बोल कर लिखते हैं तो शातिर उनकी आवाज की कॉपी कर लेते हैं।

    इसके बाद वे किसी प्रकार से उस व्यक्ति के इंटरनेट मीडिया अकाउंट या गूगल सिंक्रोनाइज को हैक कर उसके कांटैक्ट लिस्ट में सुरक्षित नंबरों का पता लगाता हैं  फिर, उन लोगों को उस व्यक्ति की आवाज में कॉल कर ठगी करना शुरू कर देते हैं।