प्रकाशोत्सव : पांच लाख लोगों ने लगाई गुरु दरबार में हाजिरी
प्रकाशोत्सव को लेकर टेंट सिटी में आने वालों का तांता लगा हुआ है। बीते दिन की बात करें तो करीब पांच लाख श्रद्धालु पहुंचे। भीड़ को देखते हुए गांधी मैदान के नौ गेट खोल दिए गए।
पटना [जेएनएन]। नए साल की सुनहरी सुबह से लेकर रंगीन शाम तक गांधी मैदान श्रद्धालुओं से पटा रहा। मैदान के अंदर जितने लोग थे, उतने ही बाहर इंतजार में खड़े थे। भीड़ इतनी हुई कि गांधी मैदान के चारों ओर एक लेन पर ट्रैफिक बंद करना पड़ा। दो गेटों पर भीड़ ज्यादा हुई तो गांधी मैदान के नौ गेट खोलने पड़े। रविवार को सुबह 10 बजे से लेकर देर रात तक करीब पांच लाख लोगों ने गुरु दरबार में हाजिरी लगाई और लंगर छका।
सड़कों पर आस्था का रेला
गांधी मैदान की तरफ जाने वाली सभी सड़कें पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं से पटी रहीं। ऐसा लग रहा था जैसे हर कदम सिर्फ गुरु दरबार की ओर ही चल पड़े हैं। शाम पांच बजे के बाद प्रवेश करने वालों के साथ बाहर निकलने वालों की भी भीड़ रही।
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दर्शन कर निकलते रहे बाहर
गांधी मैदान में भीड़ देखते हुए जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल, एसएसपी मनु महाराज, एसपी चंदन कुशवाहा और डीडीसी अमरेन्द्र कुमार खुद कमान संभाले नजर आए। स्पीकर पर घोषणा होती रही कि दर्शन करने और लंगर छकने के बाद कृपया बाहर निकलते रहें। दूसरे लोग भी दर्शन करने आ रहे हैं।
तीन जगहों पर रही लंबी लाइन
गांधी मैदान आने वाले लोगों को तीन जगहों पर लंबी लाइन का सामना करना पड़ा। सबसे पहली लाइन गांधी मैदान के प्रवेश द्वार पर मिली। यहां आधा किमी की लाइन लगाकर लोग अंदर जाने का इंतजार करते रहे। हालांकि, इंतजार के बावजूद पटनावासियों ने अनुशासन का परिचय दिया जिसकी प्रशासन ने भी सराहना की। मैदान में अंदर आने के बाद दो जगह लाइन लगी। एक दीवान साहिब में दर्शन के लिए और दूसरी लंगर छकने के लिए। ज्यादा भीड़ के कारण कई श्रद्धालु बिना लंगर छके भी लौटे।
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शाम होते ही लगे चार चांद
गांधी मैदान में बने शानदार पंडाल और गुरुद्वारा देखकर तो लोग गदगद थे ही, शाम होते ही आकर्षक लाइटिंग ने जैसे आयोजन में चार चांद लगा दिए। कई लोग सिर्फ लाइटिंग देखने के लिए शाम में पहुंचे।
नववर्ष का फेवरेट डेस्टिनेशन
इस बार नववर्ष पर गांधी मैदान पटना के लोगों की सबसे पसंदीदा जगह बनी। नववर्ष का जश्न और उत्साह यहां खूब दिखा। कदमकुआं से आए रोहित ने बताया कि नववर्ष के साथ प्रकाशपर्व भी मना रहे हैं। व्यवस्था इतनी शानदार है कि कहीं और जाने का मन ही नहीं कर रहा। कंकड़बाग की श्रुति कहती हैं, कि बच्चों की स्पेशल डिमांड थी कि गांधी मैदान ही चलना है। यहां आकर सचमुच अच्छा लग रहा है।