एसआइआर के विरोध में संपूर्ण विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन, विधानसभा प्रवेश द्वार से प्रवेश रुका
मंगलवार को बिहार विधान मंडल की कार्यवाही के दूसरे दिन भी विपक्ष ने इस मसले पर सदन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। स्थिति यह रही की प्रदर्शन की वजह से विधानसभा का प्रवेश द्वार पूरी तरह से बाधित हो गया मजबूरी में सदस्य सदन के अंदर बिना किसी बाधा के आ सके इसके लिए दूसरा गेट खोला गया।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चुनाव आयोग द्वारा बिहार में कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ़ विपक्ष चुनाव आयोग और सरकार का जमकर विरोध कर रहा है। विपक्ष के प्रदर्शन का यह सिलसिला लगातार जारी है। इसी कड़ी में मंगलवार को बिहार विधान मंडल की कार्यवाही के दूसरे दिन भी विपक्ष ने इस मसले पर सदन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। स्थिति यह रही की प्रदर्शन की वजह से विधानसभा का प्रवेश द्वार पूरी तरह से बाधित हो गया मजबूरी में सदस्य सदन के अंदर बिना किसी बाधा के आ सके इसके लिए दूसरा गेट खोला गया।
मंगलवार को बिहार विधानसभा की सरकारी गतिविधियां प्रारंभ होने के पूर्व विधानसभा पोर्टिको में विपक्ष ने जोरदार प्रदर्शन किया और यहां धरना पर भी बैठ गए। संपूर्ण विपक्ष सरकार को अपना विरोध दर्शाने के लिए आज काले कपड़े पहनकर पहुंचा थाम हाथों में प्ले कार्ड लेकर विपक्ष के सदस्य चुनाव आयोग और सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे।
कांग्रेस विधायक राजेश राम ने इस दौरान मीडिया से बातचीत की और कहा कि चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर वोट बंदी करने की साजिश कर रहा है । गरीब दलित पिछड़ों से उनके वोट के अधिकार को छीनने की कोशिश हो रही है। राजेश राम ने मांग उठाई की चुनाव आयोग के एसआइआर के मसले पर पुनर्विचार करें और चुनाव के बाद आवश्यक लगे तो इस प्रक्रिया को जारी रखे। उन्होंने कहा इस प्रकार मतदाता पुनरीक्षण कराए जाने से लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जाने की आशंका है। जिसका सीधा लाभ भाजपा और उसके सहयोगी दलों को मिलेगा।
विपक्ष का धरना करीब 45 मिनट से अधिक चला। इस दौरान विधानसभा में सदस्यों का प्रवेश पूरी तरह से बाधित रहा। मजबूरी में प्रवेश के लिए दूसरा द्वार खोला गया इसके बाद विधानसभा के सदस्य और मंत्रीगण इस द्वार से सदन के अंदर प्रवेश पा सके।
अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई तो सुधार की मुहिम। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से तीन करोड़ लोग बिहार से बाहर मजदूरी करने बाहर जाते हैं और चुनाव में वापस आते हैं। जो बाहर चला गया, उसके लिए आयोग की क्या व्यवस्था।
जब सुधार करना ही था तो इतने दिन से चुनाव आयोग क्यों सोया था, एक साल पहले यह काम किया जाता। गरीब, पिछड़े, दलित, मजदूरों को अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से हटाना असली मकसद है। अगर बांग्लादेशी आ गए हैं तो भारत सरकार का फेल्योर है। सीमा सुरक्षा बल कहां था। पार्टी सदन से सड़क तक लड़ाई लड़ेगी।
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