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    बिहार का सबसे अमीर और सबसे गरीब जिला कौन-सा है? सामने आई नीतीश सरकार की चौंकाने वाली रिपोर्ट

    Updated: Fri, 28 Feb 2025 10:06 PM (IST)

    बिहार में आर्थिक विकास में अंतर देखा जाता है। पटना सबसे समृद्ध जबकि शिवहर सबसे गरीब जिला है। जिलों की समृद्धि का आकलन सकल घरेलू उत्पाद पेट्रोल डीजल और एलपीजी की खपत से किया जाता है। पटना की प्रति व्यक्ति आय 121396 रुपये है जबकि शिवहर की मात्र 19561 रुपये है। अमीर जिलों में पटना बेगूसराय और मुंगेर हैं जबकि गरीब जिलों में शिवहर सीतामढ़ी और अररिया हैं।

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    बिहार का सबसे अमीर और सबसे गरीब जिला कौन-सा है?

    राज्य ब्यूरो, पटना। पूरे बिहार में अर्थव्यवस्था की गति एक समान नहीं है। ऐसा होता भी नहीं है। बिहार तो वैसे भी उपभोक्ता प्रदेश है। ऐसे में उपभोग की कमोबेश मात्रा गरीबी-अमीरी के अंतर को और बढ़ा देती है।

    इसी कारण कुछ जिले विकास की राह पर तेज दौड़ रहे तो कुछ पिछड़ जा रहे हैं। जैसे कि पटना और शिवहर। पटना बिहार का सबसे अमीर जिला है, लेकिन शिवहर को यह सौभाग्य नहीं। शिवहर सबसे गरीब जिला है।

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    राज्य के भीतर आर्थिक विकास में क्षेत्रीय विषमता का आकलन सकल जिला घरेलू उत्पाद व निवल जिला घरेलू उत्पाद के आधार पर होता है। इस आंकड़े में आगे रहने वाले जिले संपन्न माने जाते हैं और पिछड़ जाने वाले विपन्न।संपन्नता का यह पैमाना पेट्रोल-डीजल-एलपीजी की खपत और लघु बचत से निर्धारित होता है।

    अमीर और गरीब जिले

    इन सारे सूचकांकों के आधार पर पटना सबसे समृद्ध जिला है। अमीरी में बेगूसराय और मुंगेर जिला क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। गरीबी के संदर्भ में क्रमश: यही क्रमांक सीतामढ़ी और अररिया का है।

    पटना की प्रति व्यक्ति आय 121396 रुपये हैं। बेगूसराय और मुंगेर की क्रमश: 49064 और 46795 रुपये। शिवहर के संदर्भ में यह 19561 रुपये है। सीतामढ़ी की प्रति व्यक्ति आय 21931 रुपये है तो अररिया की 22204 रुपये।

    • अमीर जिले : पटना, बेगूसराय, मुंगेर क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर
    • गरीब जिले : शिवहर, सीतामढ़ी, अररिया क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर
    • पेट्रोल की खपत : पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया आगे, लखीसराय, बांका, जहानाबाद पीछे
    • डीजल की खपत : पटना, शेखपुरा, औरंगाबाद आगे, शिवहर, सिवान, गोपालगंज पीछे
    • एलपीजी की खपत : पटना, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज आगे, अररिया, बांका, किशनगंज पीछे

    आर्थिक समीक्षा की मुख्य रिपोर्ट : एक दशक में 3.5 गुना बढ़ी बिहार की अर्थव्यवस्था

    कई तरह के उतार-चढ़ाव को झेलते हुए भी बिहार की विकास दर लगातार दोहरे अंक में बनी हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट ऐसा बता रही। बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विधान मंडल में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की। उसके उपरांत प्रेस-वार्ता में उन्होंने बताया कि राज्य की अर्थव्यवस्था 2011-12 के 2.47 लाख करोड़ से साढ़े तीन गुना बढ़कर 2023-24 में 8.54 लाख करोड़ हो गई है। राष्ट्रीय वृद्धि दर की तुलना में बिहार के विकास की दर अधिक रही है।

    दूसरी बार आर्थिक समीक्षा की रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले सम्राट के पास वित्त विभाग का दायित्व भी है। विकास दर में वृद्धि को उन्होंने केंद्रीय सहायता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व का प्रतिफल बताया। दावा किया कि बिहार विकास दर के मामले में देश में तेलंगाना के बाद दूसरे स्थान पर है। वह भी 0.3 प्रतिशत के मामूली अंतर से। 2023-24 के लिए वर्तमान मूल्य पर बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 854429 करोड़ रुपये अनुमानित है।

    पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह वृद्धि 14.5 प्रतिशत की होती है। इसी अवधि में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ प्रति व्यक्ति आय 66828 रुपये अनुमानित है। यह अनुमान वर्तमान मूल्य पर है। स्थिर मूल्य पर यह राशि 7.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 36333 रुपये बनती है।

    तृतीयक क्षेत्र का योगदान अधिक, दारोमदार कृषि पर:

    अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र यानी व्यापार और सेवा क्षेत्र का योगदान 59 प्रतिशत के लगभग होगा, लेकिन आज भी सर्वाधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। कोरोना-काल में विकास दर में आई गिरावट के बीच इसी क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को संभाला था। अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 20 प्रतिशत है।

    धान-गेहूं के साथ मक्का का उत्पादन लगातार बढ़ रहा और आम-लीची के बागानों का रकबा भी। कृषि क्षेत्र को सरकार का प्रश्रय है। इसका प्रमाण बिजली है। कुल खपत में कृषि में बिजली की खपत 2023-24 में 17.6 प्रतिशत रही, जो 2019-20 में 4.3 प्रतिशत थी।

    सामाजिक सेवाओं पर खूब खर्च कर रही सरकार:

    सम्राट ने बताया कि राजकोषीय संसाधनों के विवेकपूर्ण प्रबंधन से कई विकासमूलक लक्ष्य प्राप्त हुए हैं। राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही। इसके साथ ही सरकार के राजस्व व पूंजीगत लेखों में भी बढ़ोतरी हो रही है। यानी कि इन मदों पर व्यय बढ़ रहा है। यह बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए सुखद संकेत है। वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच पूंजीगत व्यय मेंं तिगुना बढ़ोतरी हुई है।

    इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार संसाधनों के निर्माण पर अधिक खर्च कर रही। भविष्य में रिटर्न इन्हीं संसाधनों के बूते मिलता है। बहरहाल बजट का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक सेवाओं पर खर्च हो रहा, जो सरकार की जन-कल्याणकारी अवधारणा को स्पष्ट करता है। 2023-24 में यह खर्च बढ़कर 83225 करोड़ हो गया है, जो 2019-20 में 57816 करोड़ रुपये था।

    एसजीडीपी (रुपये में)

    वित्तीय वर्ष वर्तमान मूल्य स्थिर मूल्य
    2011-12 247144 247144
    2012-13 282368 256851
    2013-14 317101 269650
    2014-15 343951 279482
    2015-16 371602 296488
    2016-17 421051 318797
    2017-18 468746 344028
    2018-19 527976 381383
    2019-20 581855 398329
    2020-21 567814 368970
    2021-22 647394 387256
    2022-23 746417 425384
    2023-24 854429 464540

    (नोट : 2022-23 का अनंतिम अनुमान है और 2023-24 का त्वरित अनुमान)

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