Bihar Teacher News: नए शिक्षकों की पोस्टिंग पर आया बड़ा अपडेट, विभाग के निदेशक ने जारी किया नया आदेश
बिहार शिक्षा विभाग ने सभी नवपदस्थापित होने वाले प्रधान शिक्षक पद के अभ्यर्थियों के लिए जिला आवंटन की कार्रवाई का अनुपालन अनिवार्य कर दिया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 93 प्रतिशत सफल अभ्यर्थियों को उनके विकल्पों के अनुसार जिला आवंटित किया गया है। जिला स्तरीय संवर्ग होने के कारण कोटिवार स्वीकृत पद के अनुरूप ही पदस्थापन की कार्रवाई की गई है।
राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा विभाग ने सभी नवपदस्थापित होने वाले प्रधान शिक्षक पद के अभ्यर्थियों को आवंटित जिला का अनुपालन करना अनिवार्य कर दिया है। शुक्रवार को विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने निर्देश जारी कर कहा कि जिला आवंटन की कार्रवाई का अनुपालन सुनिश्चित करें।
बिना तथ्यों की जानकारी के शिक्षा विभाग द्वारा जिला आवंटन हेतु की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाएं। 93 प्रतिशत सफल अभ्यर्थियों को उनके द्वारा समर्पित विकल्प (प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय) के अनुरूप जिला आवंटित हुआ है।
विभागीय आदेश में कहा गया है कि प्रधान शिक्षक पद के सफल कुछ अभ्यर्थियों द्वारा यह जिज्ञासा व्यक्त की जा रही है कि मेधा क्रम में ऊपर रहने के बावजूद उन्हें विकल्प का लाभ नहीं मिला, जबकि मेधा क्रम में नीचे वाले को विकल्प के अनुरूप जिला आवंटित किया गया है।
विभागीय स्तर पर की समीक्षा
इसकी गहन समीक्षा विभागीय स्तर पर की गई जिसमें पाया गया कि यह जिला स्तरीय संवर्ग है, इसलिए जिला में कोटिवार स्वीकृत पद के अनुरूप ही पदस्थापन की कार्रवाई की जानी है। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा जिस सफल अभ्यर्थी की अनुशंसा जिस कोटि में की गयी है, उस कोटि की वरीयता (मेधा क्रम) के अनुरूप उनके विकल्प को दृष्टिपथ में रखते हुए जिला आवंटन की कार्रवाई की गई है।
वस्तुस्थिति यह है कि शिक्षा विभाग द्वारा सामान्य कोटि में अनुशंसित अभ्यर्थियों को उनके मेधा क्रम में, आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को उनके मेधा क्रम, पिछड़ा वर्ग के उनके मेधा क्रम में, अतिपिछड़ा वर्ग को उनके मेधा क्रम में, अनुसूचित जाति एव अनुसूचित जनजाति को उनके मेधा क्रम के अनुरूप विकल्प के आधार पर जिला आवंटन की कार्रवाई की गयी है।
समेकित रूप से देखने पर यह स्पष्ट होगा कि किसी सामान्य कोटि के वरीय मेधा क्रम वाले को छोड़ कर सामान्य कोटि वाले कम मेधा क्रम (दिव्यांग को छोड़) के अभ्यर्थी को विकल्प का लाभ नहीं दिया गया है।
अन्य सभी कोटि में भी इसी तरह का अनुपालन किया गया है। इस नीति का पालन नहीं किया जाता, तो बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा कोटिवार की गयी अनुशंसा की संख्या-क्रम को भंग करना पड़ता, जो नियमानुकूल नहीं है।
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