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    Mukesh Sahani: '...तो एनडीए में आ जाएंगे मुकेश सहनी', BJP के सीनियर नेता का दावा; खुल गया बंद दरवाजा!

    Updated: Tue, 15 Apr 2025 07:09 PM (IST)

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने संकेत दिया है कि अगर महागठबंधन में मुकेश सहनी को अपेक्षित महत्व नहीं मिलता है तो एनडीए में उनकी वापसी संभव है। जायसवाल ने कहा कि सहनी राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए महागठबंधन में गए हैं पर कद नहीं बढ़ा तो एनडीए का दरवाजा खुला है। 2020 में सहनी एनडीए में शामिल हुए थे पर बाद में महागठबंधन में चले गए।

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    दिलीप जायसवाल ने वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को लेकर किया बड़ा दावा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन में विधानसभा की सीटों के लिए संघर्ष कर रहे विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) के लिए एनडीए का दरवाजा भी खुला हुआ है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं।

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    दिलीप जायसवाल ने मंगलवार को उम्मीद जाहिर की कि अगर महागठबंधन में सहनी की बात नहीं बनती है तो वे एनडीए में वापस आ जाएंगे। डॉ. जायसवाल ने कहा कि मुकेश सहनी अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए महागठबंधन में गए हैं। अगर वहां उनका कद नहीं बढ़ा तो इधर आ जाएंगे।

    'कद नहीं बढ़ा तो वे आ जाएंगे'

    हालांकि, जायसवाल ने ये भी स्वीकार किया कि चुनाव में सहनी का वोट बैंक बहुत मायने रखता है। प्रश्न था कि क्या आप मुकेश सहनी को एनडीए में आने का ऑफर दे रहे हैं? भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- कद नहीं बढ़ा तो वे आ जाएंगे।

    2020 में क्या हुआ था?

    मालूम हो कि 2020 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के समय मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ थे, लेकिन टिकट बंटवारे के समय बैठक छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए।

    उनकी विकासशील इंसान पार्टी को 11 सीटें दी गईं। चार विधायक बने। सहनी से तकरार बढ़ा तो वीआईपी के सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव हारे मुकेश सहनी को भाजपा ने विधान परिषद में भेजा। मंत्री भी बनाया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे महागठबंधन में चले गए।

    तेजस्वी के अति पिछड़ा व दलित प्रेम का हुआ पर्दाफाश : भीम सिंह

    दूसरी ओर, भाजपा सांसद डॉ. भीम सिंह ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने गए तेजस्वी यादव अपने साथ संजय यादव और मनोज झा को लेकर गए। अत्यंत पिछड़ी या अनुसूचित जाति के किसी नेता को उच्च स्तरीय बैठक में ले जाने योग्य नहीं समझा।

    कभी लालू प्रसाद खिल्ली उड़ाते हुए कहा करते थे कि ''अत्यंत पिछड़ा किस चिड़िया का नाम है''। तेजस्वी ने अपने आचरण से सिद्ध कर दिया है कि इस प्रकरण में वे अपने पिता का अनुसरण कर रहे, जो अत्यंत निंदनीय है।

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