क्या दो नाम के चलते अटकी अशोक चौधरी की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति? बिहार के शिक्षा मंत्री ने बताया कारण
ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी की असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति नाम में गड़बड़ी और कुछ प्रमाणपत्रों में कमी के कारण रोक दी गई है। शिक्षा मंत् ...और पढ़ें

शिक्षा मंत्री सुनील कुमार व ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। सरकार ने ग्रामीण कार्य मंत्री डाॅ.अशोक चौधरी की असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को क्यों रोकी है?
इस बाबत सोमवार को शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि डाॅ.अशोक चौधरी से संबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के मामले को आयोग के पास भेजा गया है और उस पर मंतव्य मांगा गया है।
इस मामले में विभागीय स्तर पर समीक्षा की गई है और कुछ सर्टिफिकेट में कमियां पायी गई हैं। इस पूरे मामले को गहराई से देखा जा रहा है और जो भी अंतर सामने आए हैं, उनकी जांच की जा रही है। जांचोपरांत आवश्यक निर्णय लिया जाएगा।
चुनाव से पहले की गई थी अनुशंसा
उच्च शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने राजनीतिक विज्ञान विषय की चयन प्रक्रिया पूरी करने के बाद 274 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा शिक्षा विभाग से विधानसभा चुनाव से पहले की थी।
लेकिन, नियुक्ति की प्रक्रिया रोक दी गई क्योंकि डाॅ.अशोक चौधरी दो नाम का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने अपने एजुकेशनल सर्टिफिकेट में अशोक कुमार और अपने चुनावी हलफनामे में अशोक चौधरी लिखा है।
अशोक चौधरी का मामला नाम में गड़बड़ी सहित कुछ स्पष्टीकरणों की कमी के कारण विभाग के पास लंबित है। वहीं बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि नाम में गड़बड़ी ही उनकी नियुक्ति रोकने का मुख्य कारण है।
हमने शुरुआती जांच के समय उनके एजुकेशनल सर्टिफिकेट देखे थे, लेकिन अंतिम जांच में दो नाम सामने आए। बता दें कि अशोक चौधरी की अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को लेकर सियासी चर्चा भी खूब हुई थी।
बता दें कि कांग्रेस प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने यह मामला एक दिन पहले उठाया था। उनका यह भी दावा था कि पीपीयू ने उनके प्रमाणपत्र की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने मंत्री से इसे स्पष्ट करने की मांग की थी।

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