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    Dial 102: डायल 102 ने दौड़ाई पुरानी एंबुलेंस, एजेंसी पर साढ़े पांच करोड़ का जुर्माना

    Updated: Mon, 08 Jul 2024 11:26 PM (IST)

    बिहार में डायल 102 एंबुलेंस सेवा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए उपलब्ध कराई गई है। इस सेवा को मैनेज करने के लिए कॉल सेंटर भी है। समय पर लोगों तक एंबुलेंस पहुंच सके इसके लिए सरकार ने निजी कंपनियों के साथ करार किया है। इस बीच एजेंसी की तरफ से एक बड़ी लापरवाही सामने आई है जिसको लेकर कार्रवाई की गई है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। मरीजों को समय पर एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 102 एंबुलेंस सेवा सरकार ने उपलब्ध कराई है। इसके साथ ही एंबुलेंस सेवा के संचालन के लिए कॉल सेंटर भी हैं।

    लोगों को एंबुलेंस की सेवा समय पर मिले इसके लिए सरकार ने निजी एजेंसी से करार भी किया, लेकिन एजेंसी ने करार की शर्तो का पालन ही नहीं किया। जिसके बाद सरकार ने संबंधित एजेंसी पर साढ़े पांच करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है।

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    इस मामले में महालेखाकार की आपत्ति के बाद यह जुर्माना लगाया गया है। स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में एंबुलेंस और शव वाहन की सुविधा के लिए पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर प्रा. लि. से पिछले साल मई महीने में सरकार ने करार किया था।

    करार के तहत एजेंसी को 90 दिनों के 757 एंबुलेंस 102 सेवा के लिए उपलब्ध कराना था, लेकिन एजेंसी ने 21 शव वाहन समेत 481 एंबुलेंस की उपलब्ध कराए। इतना ही नहीं जो एंबुलेंस मुहैया कराए गए वे पांच वर्ष या इससे अधिक पुराने थे। जबकि ऐसे एंबुलेंस उपलब्ध कराने थे, जो तीन महीने से अधिक पुराने न हो।

    नियमों के उल्लंघन को देखते हुए सरकार ने आठ महीने के विलंब के लिए प्रति एंबुलेंस पांच हजार रुपये प्रति 30 दिन की दर से 3.02 करोड़ रुपये की पेनाल्टी एजेंसी पर लगाई।

    कॉल सेंटर की क्षमता कुल 75 सीट

    इसके अलावा, एंबुलेंस एजेंसी द्वारा संचालित हो रहे कॉल सेंटर के संयुक्त भौतिक परीक्षण में यह बात सामने आई कि कॉल सेंटर की क्षमता कुल 75 सीट की ही थी। जबकि करार के मुताबिक दो शिफ्ट में काल सेंटर सौ सीट तथा तीसरी शिफ्ट में 50 सीट के साथ संचालित होना था।

    इस मामले पर एजेंसी पर 2.47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस प्रकार दोनों मामलों को मिलाकर पांच करोड़, पचास लाख और सत्तर हजार रुपये का जुर्माना एजेंसी पर लगाया गया है।

    इस मामले में महालेखाकर कार्यालय की आपत्ति भी सरकार को प्राप्त हुई है। जिसके बाद राज्य स्वास्थ्य समिति के विशेष कार्य पदाधिकारी सह प्रभारी रेफरल ट्रांसपोर्ट ने संबंधित एजेंसी को पत्र भेज अपना स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।

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