Bihar News: डेंगू का स्ट्रेन-2 हुआ खतरनाक, बिना प्लेटलेट्स घटे मरीज की बिगड़ रही हालत; ये हैं इसके लक्षण
राज्य में डेंगू गत वर्षों की तुलना में कई मायने में अलग है। यहां पहली बार एक साथ डेंगू वायरस के चारों स्ट्रेन डेन-1 डेन-2 डेन-3 व डेन-4 की पुष्टि हुई है। एक रोगी में दो-दो स्ट्रेन एकसाथ मिले हैं। राज्य के मुख्य सर्विलांस पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार बता चुके हैं कि गत वर्ष की तुलना में इस बार डेंगू दोगुना अधिक संक्रामक है।

जागरण संवाददाता, पटना। राज्य में डेंगू गत वर्षों की तुलना में कई मायने में अलग है। यहां पहली बार एक साथ डेंगू वायरस के चारों स्ट्रेन डेन-1, डेन-2, डेन-3 व डेन-4 की पुष्टि हुई है। एक रोगी में दो-दो स्ट्रेन एकसाथ मिले हैं।
राज्य के मुख्य सर्विलांस पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार बता चुके हैं कि गत वर्ष की तुलना में इस बार डेंगू दोगुना अधिक संक्रामक है। अबतक प्रदेश में करीब 8,100 और पटना में सर्वाधिक 2,728 मरीज मिल चुके हैं। पटना में पांच समेत प्रदेश में 25 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है।
इनमें से अधिकतर मरीज सांस लेने में परेशानी, लिवर-छाती में पानी भरने, बीपी कम होने, पेट-आंख में तेज दर्द व उल्टी की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे थे।
भर्ती होने वाले रोगियों में से सिर्फ पांच प्रतिशत को ही प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। गत सात दिनों से लगातार केवल राजधानी के अस्पतालों में तीन सौ से अधिक मरीज भर्ती हैं, लेकिन ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स के लिए मारामारी की स्थिति नहीं बनी है।
जिन्हें गत वर्ष भी हुआ था, उनमें गंभीर लक्षण
भारतीय चिकित्सा शोध संस्थान की शाखा राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (आरएमआरआइ) के निदेशक डा. कृष्णा पांडेय और जिला संक्रामक रोग पदाधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में आश्चर्यजनक रूप से चारों स्ट्रेन सक्रिय हैं, लेकिन सर्वाधिक मरीज डेन-2 व डेन-3 स्ट्रेन से बीमार हो रहे हैं।
35 नमूनों की जेनेटिक सिक्वेंसिंग में से 11 डेन-2 व नौ में डेन-3 की पुष्टि हुई है। तीन रोगी दो-दो स्ट्रेन से पीड़ित मिले।
डेन-2 स्ट्रेन सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है, जो लोग 18 माह के अंदर दूसरी बार डेंगू की चपेट में आए हैं, उनमें घातक लक्षण उभरने की आशंका ज्यादा होती है। इसका कारण शरीर में पहले से मौजूद एंटीबाडी से टकराव के कारण बढ़ी परेशानी है।
बुखार उतरने के बाद पहुंच रहे अस्पताल
नालंदा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (एनएमसीएच) में मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि डेन-2 या अन्य स्ट्रेन में तेज बुखार, जोड़ों, सिर व आंखों के पीछे तेज दर्द, खुजली जैसे लक्षण ही होते हैं। 85 प्रतिशत मरीज घर में स्वस्थ हो रहे हैं।
शेष 15 प्रतिशत में से अधिकतर बुखार उतरने यानी चार से पांच दिन बाद शाक सिंड्रोम के लक्षण यानी बीपी नहीं मिलने या सांस में परेशानी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
इसके अलावा लिकि सिंड्रोम यानी रक्तधमनियों से प्लाज्मा लीक होकर लिवर-छाती में पानी भरने की समस्या लेकर आ रहे हैं। इस बार अंदरूनी अंगों में रक्तस्राव यानी हैमरेजिक डेंगू के मरीज कम आ रहे हैं।
खतरे के ये सात संकेत रखें याद
राज्य के मुख्य सर्विलांस पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार ने बताया कि डेंगू का स्ट्रेन कोई भी हो, लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। बुखार हो या नहीं, इन सात में से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
1- बीपी कम या बिल्कुल गायब होना व सांस लेने में परेशानी।
2- पेट में तेज दर्द या लिवर का दो इंच या इससे अधिक बढ़ जाना।
3- लगातार उल्टी होना या जी मिचलाना।
4- अत्यधिक कमजोरी, भारीपन, रोगी की सजगता में कमी।
5- आंखें लाल होना या पुतली के पीछे तेज दर्द।
6- मसूड़ों-नाक से रक्तस्राव या ब्रश करते समय खून निकलना।
7- पेशाब के साथ खून आना या पाखाना गहरे भूरे रंग का होना।
6- महिलाओं में मासिक के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव।
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