Paracetamol Side Effects: हो जाएं सावधान! पैरासिटामोल की ओवरडोज लेने से डेंगू मरीजों को हो रही काली उल्टी
अगर आप भी डेंगू का बुखार होने पर पैरासिटामोल का सेवन कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं। पैरासिटामोल की ओवरडोज के कारण डेंगू के मरीजों को काली उल्टी की शिकायत सामने आ रही है। अस्पताल में आने वाले 10 में से 3 मरीजों को यह समस्या हो रही है। वहीं इस वर्ष अबतक डेंगू हैमरेजिक या शॉक सिंड्रोम के मामले सामने नहीं आए हैं।
जागरण संवाददाता, पटना। डेंगू फैलाने वाले डेंगी वायरस का चार में से कौन-सा स्ट्रेन पटना में तीन समेत प्रदेश में सात लोगों की जान ले चुका है, यह भले अज्ञात हो, लेकिन इस बार इसका एक दुष्प्रभाव सामने आया है। कोरोना की तरह शुरुआत के तीन से चार दिन तक जो तेज बुखार आ रहा है वह पैरासिटामोल 650 मिलीग्राम की ओवरडोज की निर्धारित खुराक से कम नहीं हो रहा है।
दर्द व बुखार से कुछ राहत के लिए मरीजों को चार से पांच घंटे के अंतराल पर चार-पांच बार दवा लेनी पड़ रही है। यही कारण है कि डेंगू मरीज इस बार प्लेटलेट्स कम की शिकायत के बजाय काली उल्टी या काला पाखाना होने की समस्या लेकर भर्ती हो रहे हैं।
आइजीआइएमएस के चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल के अनुसार, अस्पताल आने वाले हर 10 रोगी में से दो से तीन इसी तरह की समस्या लेकर सामने आ रहे हैं। इस वर्ष अबतक डेंगू हैमरेजिक या शॉक सिंड्रोम के मामले सामने नहीं आए हैं।
हृदय व अन्य क्रोनिक रोगियों को ज्यादा समस्या
डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि सामान्यत: चिकित्सक प्रति किलोग्राम 15 मिलीग्राम पैरासिटामोल के हिसाब से दिन में तीन गोलियां खाने का परामर्श देते हैं। बुखार व दर्द की अधिकता में कई बार मरीज खुद या डाक्टर के परामर्श पर चार से पांच गोलियां महज 16 से 20 घंटे में ले लेता है। इससे रोगी हाइपर एसिडिटी से पीड़ित हो जाता है। ऐसे में कुछ लोगों को काली उल्टी तो कुछ को काले पाखाने की समस्या हो जाती है।
उन्होंने कहा कि रोगी इसे खून समझ कर घबराकर अस्पताल आ रहे हैं। ऐसे हृदय रोगी जो खून पतला करने की दवा ले रहे हैं या क्रोनिक रोगों के मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर है, उनमें यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है। डेंगू रोगियों को गंभीर परिणामों से बचने के लिए खाने में प्रोटीन की मात्रा व तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें। इसके अलावा बुखार की दवा के साथ बीकासूल जैसी कोई मल्टीविटामिन व गैस की दवा जरूर लें।
पटना: डेंगू के 36 नए रोगियों संग 755 पर पहुंचा आंकड़ा
राजधानी में सोमवार को 36 नए डेंगू मरीज मिले हैं। इनमें से सर्वाधिक 14 मरीज कंकड़बाग अंचल के हैं। इसके अलावा अजीमाबाद में 10, बांकीपुर व पाटलिपुत्र अंचल में तीन-तीन, नूतन राजधानी में एक व एक अन्य का पता पूरा नहीं है। इसके साथ ही जिले में डेंगू के कुल रोगियों की संख्या 755 हो गई है। पटना के जिला वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया कि शहरी क्षेत्र में अबतक 671 तो ग्रामीण क्षेत्र में 84 डेंगू रोगी मिल चुके हैं। सोमवार को 36 मरीजों में से 35 सरकारी तो एक निजी अस्पताल में मिला है।
डेंगू बुखार के अलग-अलग चरण
डेंगू फीवर के अलग-अलग चरण होते हैं और उनके अलग लक्षण होते हैं। सामान्य डेंगू बिना दवा पांच से सात दिन में ठीक हो जाता है। इसमें बहुत गंभीर लक्षण नहीं होते हैं। वहीं कई बार बुखार कम होने के बाद भी रोग के गंभीर लक्षण सामने आने लगते हैं। इसमें शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं तो नाक, मसूढ़े, त्वचा में लाल चकत्ते आदि हैं।
यदि सही उपचार नहीं मिलता है तो शरीर में तरल पदार्थ कम होने पर रोगी का ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और रोगी शाक में चला जाता है। इस स्थिति को शाक सिंड्रोम कहते हैं। कई बार जब रोगी की हालत में सुधार हो रहा होता है तो रक्तनलिकाओं में अचानक तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ने से हृदय पर दबाव बढ़ने लगता है।
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