बिहार में बिना FIR किए मिलेगी साइबर ठगी की राशि? पटना हाई कोर्ट को भेजा गया प्रस्ताव
पटना साइबर ठगी के शिकार लोगों को अब राहत मिलेगी। राशि वापसी के लिए एफआईआर की अनिवार्यता खत्म हो सकती है। ऑनलाइन शिकायत और एक्शन टेकेन रिपोर्ट के आधार पर भी राशि वापस मिल सकेगी। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने इससे जुड़ा प्रस्ताव पटना हाईकोर्ट को भेजा है। प्रस्ताव मंजूर होने पर पीड़ितों को रिफंड राशि मिलने में आसानी होगी।

राज्य ब्यूरो, पटना। साइबर ठगी के पीड़ितों को अब राशि वापसी के लिए प्राथमिकी दर्ज कराने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। ऑनलाइन दर्ज कराई गई शिकायत और एक्शन टेकेन रिपोर्ट के आधार पर भी उनकी राशि वापस मिल सकेगी।
आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने इससे जुड़ा प्रस्ताव राज्य सरकार के जरिए पटना हाईकोर्ट को भेजा है। अगर प्रस्ताव स्वीकार होता है, तो पीड़ितों को रिफंड राशि वापस मिलने की राह आसान हो जाएगी।
साइबर डीआईजी संंजय कुमार ने बताया कि इस साल जनवरी से जून तक 15 लाख 62 हजार कॉल आई है। इनमें 38 हजार 472 कॉल वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित है। इसमें 47.10 करोड़ की राशि होल्ड कराई गई है। इस साल अभी तक 3 करोड़ 64 लाख रुपये पीड़ितों को वापस रिफंड किया गया है।
रिफंड राशि का प्रतिशत कम होने के सवाल पर डीआईजी ने बताया कि एनसीआरपी (नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल) पर 85 प्रतिशत शिकायतें ऑनलाइन दर्ज होती हैं।
ऑनलाइन शिकायतों के तीन दिनों के अंदर हस्ताक्षर कर प्राथमिकी दर्ज कराने का नियम है, मगर कई लोग इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते। इससे बाद में रिफंड राशि लौटाने में दिक्कत होती है।
इन राज्यों में प्राथमिकी जरूरी नहीं
ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना जैसे कई राज्यों में प्राथमिकी की अनिवार्यता नहीं है, यहां शिकायत के बाद की गई कार्रवाई (एक्शन टेकेन रिपोर्ट) के आधार पर राशि रिफंड किए जाने का प्रविधान है।
बिहार में भी इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव पटना हाईकोर्ट को दिया गया है। अगर यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो रिफंड राशि लौटाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
आईटी एक्ट : दारोगा को आईओ बनाने का प्रस्ताव
साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए आईटी एक्ट से जुड़े कांडों की जांच दारोगा रैंक के पदाधिकारियों से कराने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है।
डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि अभी इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी मामले की जांच करते हैं मगर केस की बढ़ती संख्या काे देखते हुए बिहार समेत कई राज्यों ने केंद्र को आईटी एक्ट के कांडों में दारोगा को आईओ (अनुसंधान पदाधिकारी) की शक्ति देने की मांग की है।
आईटी एक्ट में केंद्र सरकार ही संशोधन कर सकती है। इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद इंस्पेक्टरों से केस का बोझ कम होगा जिससे जांच में भी तेजी आएगी।
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