दहेज का दंश झेल रहे बिहार में बिना बैंड-बाजे की शादी का ट्रेंड, कोर्ट मैरिज कर युवा थाम रहे एक-दूसरे का हाथ
Court Marriage in Bihar बिहार में युवाओं में पारंपरिक शादियों के बजाय कोर्ट मैरिज के प्रति रुझान बढ़ा है। धूमधाम से शादी दिनोंदिन आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है। ऐसे में लोग न्यूनतम खर्च के कोर्ट मैरिज कर रहे हैं।

भावना प्रियदर्शिनी, पटना। बिहार में शादी का अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है। शगुन, मुहूर्त की फिक्र नहीं। बैंड-बाजे की भी जरूरत नहीं। चट मंगनी पट ब्याह। तीन गवाहों के साथ कोर्ट पहुंचे और शादी कर ली। विवाह का तरीका युवाओं को खूब रास आ रहा है।
धूमधाम से शादी दिनों दिन आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है। साथ ही लोगों के सामाजिक सरोकार भी सीमित हो गए हैं। ऐसे में कोर्ट मैरिज के प्रति आकर्षण सहज है।
विवाह के लिए आवेदन के समय वर और वधू की उम्र 21 और 18 वर्ष होनी जरूरी है। इसका प्रमाण देना होता है। इसके बाद उम्र की पड़ताल और दावा-आपत्ति के लिए 30 दिनों का समय निर्धारित है। यदि आपत्ति नहीं आई तो विवाह मंजूर हो जाता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना काल के बाद साल 2022 में विवाह पंजीकरण के कुल 1212 आवेदन आए हैं। विवाह पूर्व पंजीकरण के कुल 1439 आवेदन को पंजीकृत किया गया।
साल 2023 में 18 जून तक प्राप्त हुए आवेदन की संख्या में बीते साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है। चालू साल में अब तक विवाह पंजीकरण के कुल 566 आवेदन और विवाहपूर्व पंजीकरण के 717 आवेदन प्राप्त हुए।
100 रुपये में दे सकते चुनौती
यदि किसी को विवाह प्रस्ताव पर आपत्ति हो तो 100 रुपये शुल्क के साथ आपत्ति जता सकते हैं लेकिन आपत्ति जतानेवाले को अपने आवेदन का औचित्य साबित करना होगा। उदाहरण के तौर पर यदि उम्र को लेकर आपत्ति की गयी है तो इसका प्रमाण देना होगा।
यदि वर्जित संबंध यानी जिनका विवाह हिंदू में संभव नहीं को लेकर आपत्ति है तो इसे भी साबित करना होगा। ऐसी स्थिति में सक्षम प्रमाण पर विवाह रोका जा सकता है।
अंतरजातीय विवाह पर मिलते हैं दो लाख
वहीं, अंतरजातीय विवाह करने वाले को साल भर के अंदर आवेदन देने पर सामाजिक कल्याण विभाग से दो लाख रुपये सावधि जमा प्रोत्साहन लाभ भी दिया जाता है।
जिला अवर निबंधन सह विशेष विवाह पदाधिकारी, पटना सदर धनंजय कुमार राव ने बताया कि अधिकतर आवेदन हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत पंजीकृत होते हैं। हालांकि, कई आवेदन स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत भी आते हैं।
दरअसल, पंजीकरण के बाद रिश्तों को कानूनी रूप से स्वीकृति मिल जाती है। जिसे लेकर आने वाले समय में वीजा, पासपोर्ट या फिर तलाक आदि की कानूनी प्रक्रिया में आसानी होती है। आवेदन पर 30 दिन बाद प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाता है।
इसी दौरान आपत्ति के लिए सूचना, संबंधित कार्यालय में दी जाती है। आवेदन दो प्रकार से स्वीकार किया जाता है। विवाहित लोगों के लिए विवाह पंजीकरण (मैरिज रजिस्ट्रेशन) और विवाह के लिए आवेदन।

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